नई दिल्ली. कोरोना से जूझ रही दुनिया को करोड़ों वैक्सीन (Millions Vaccine Doses) गिफ्ट करने या फिर बेचने के बाद भारत को अब एकाएक वैक्सीन की कमी पड़ गई है. वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी हुए हैं. अब देश में कोरोना के दो लाख से ज्यादा मामले सामने आने लगे हैं. अस्पतालों में इतनी अधिक संख्या में मरीजों की वजह से अव्यवस्था भी फैल गई है. कहीं बेड नहीं मिल रहा है तो कहीं ऑक्सीजन सप्लाई बाधित है. इस बीच भारत को वैक्सीनेशन की रफ्तार भी बढ़ानी है. स्थितियां ऐसी हैं कि अब भारत विदेशी वैक्सीन के लिए भी दरवाजे खोल रहा है. लेकिन ये स्थिति दुनिया के लिए भी टेंशन वाली बात है.
भारत के लिए इस वक्त अपने देश की जरूरतों का ध्यान रखना जरूरी हो गया है. लेकिन दुनिया का वैक्सीन हब कहा जाने वाला भारत अगर खुद पर फोकस करेगा तो कई देशों के लिए चिंताजनक स्थितियां पैदा हो जाएंगी. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक विशेष तौर पर 60 गरीब देशों के वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर बड़ा असर पड़ेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कोवैक्स प्रोग्राम मुख्य रूप से भारत की सप्लाई पर ही केंद्रित है. कोवैक्स के तहत देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है.
भारत ने इस महीने सिर्फ 12 लाख वैक्सीन एक्सपोर्ट की हैं
भारत में बढ़ते मामलों का असर वैक्सीन एक्सपोर्ट पर भी पड़ रहा है. भारत ने इस महीने सिर्फ 12 लाख वैक्सीन एक्सपोर्ट की हैं. जबकि जनवरी के अंत से मार्च महीने के बीच भारत ने करीब 6.4 करोड़ वैक्सीन भेजी थीं. एक अधिकारी के मुताबिक भारत में अभी आपातकालीन स्थिति है और वैक्सीन का ज्यादातर इस्तेमाल देश में ही होगा. बीते सप्ताह विदेश मंत्रालय भी कह चुका है कि भारत का वैक्सीन एक्सपोर्ट इस बात पर निर्भर करेगा कि देश में कोरोना के हालात कैसे हैं.
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