नई दिल्ली. देश में इन दिनों पिछले साल की तरह ही कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के मामले बढ़े हुए हैं. महाराष्ट्र (Maharashtra) समेत कई राज्यों में कोरोना के नए मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में लोगों से अधिक सावधानी बरतने की अपील की जा रही है. क्योंकि इसे कोविड 19 की दूसरी लहर कहा जा रहा है. ऐसे में अगले 45 दिन देश के लिए काफी अहम बताए जा रहे हैं.
एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक यह तथ्य भी है कि भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर है, लेकिन इसे पिछले 5 महीनों यानी सितंबर के मध्य से फरवरी के मध्य तक के दौरान सामने आए केस से नहीं जोड़ा जा रहा है. क्योंकि इन महीनों में देश में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले 98000 से कम होकर महज 10000 तक पहुंच गए थे.
यह उत्तर प्रदेश और बिहार में सामने आए कोरोना केस की संख्या के लिए भी नहीं है. माना जाता है कि इन राज्यों में आधारभूत स्वास्थ्य सेवाएं पिछड़ी हैं. एचटी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 30 मार्च तक कोरोना वायरस संक्रमण के 6,15,996 केस सामने आए हैं और 8800 मौत हुई हैं.
बिहार में 2,65,268 केस सामने आए हैं और 1574 मौत हुई हैं. वहीं भारत में इसी अवधि में कुल 1.21 करोड़ से अधिक केस सामने आए और 1,62,523 मौत हुई हैं. ऐसे में देश के कुल मामलों में यूपी की हिस्सेदारी 5 फीसदी है और बिहार की 2.18 फीसदी है. वहीं मौत के मामले में यूपी की हिस्सेदारी 5.15 फीसदी है और बिहार की 1 फीसदी से भी कम. यह आंकड़े रहस्य हैं. लेकिन तीन बातें साफ हैं.
पहली ये कि भारत कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में हैं. दूसरी ये कि महाराष्ट्र देश में इस दूसरी लहर को बढ़ावा दे रहा है. देश में रोजाना आने वाले कुल नए मामलों में राज्य की हिस्सेदारी 65 फीसदी है. ऐसे में तीसरी बात यह है कि महाराष्ट्र में कोरोना के वैरिएंट उसके मामलों में बढ़ोतरी का कारण बन रहे हैं.
देश में और महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर पहली वाली लहर से अलग है. हालांकि अब हमारे पास कोरोना से लड़ने के लिए अधिक संसाधन हैं. इनमें मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और वैक्सीन शामिल हैं. इनके न होने पर भारत एक बार फिर लंबा लॉकडाउन और कड़े प्रतिबंधों का सामना करता. 1 अप्रैल से देश में 45 साल से अधिक उम्र वालों के लिए भी टीकाकरण शुरू हुआ है.
अगर देश अगले 45 दिनों में ठीक हो जाता है, तो अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति और उससे भी आगे की ओर तेजी से कदम बढ़ाती रहेगी. दूसरी लहर अगर मई में नहीं खत्म हुई तो इसे साल के मध्य तक नियंत्रण में लाया जा सकता है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो देश संक्रमण से अधिक हताहत, एक लंबी दूसरी लहर, छिटपुट लॉकडाउन, लगातार प्रतिबंध और अर्थव्यवस्था के लिए और अधिक दुश्वारियां देख सकता है.
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