महासमुंद: महासमुंद सांसद चुन्नीलाल साहू ने कहा कि महानदी के जल बंटवारा पर छग सरकार की उदासीनता को लेकर महासमुंद जिले से होकर गुजरने वाली महानदी के पानी से सिंचाई सुविधा को बेहतर करने एवं अकाल से बचाने तथा पलायन को रोकने के लिए जब भी चर्चा होती है तो किसानों की खुशहाली व आर्थिक विकास के लिए सिंचाई साधन की कमी महसूस होती है।
हमारे पास महानदी व सहायक नदियों के अलावा कोई अन्य साधन नजर नहीं आता। महानदी के पानी को लेकर कुछ वर्षों से ओडिशा सरकार द्वारा हीराकुंड बांध में पानी के भराव और ओडिशा के किसानों को पर्याप्त व अधिक से अधिक सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए न्यायालय से स्थगन आदेश लेकर महानदी में छग द्वारा बैराज, स्टापडेम एवं एनीकेट आदि निर्माण के लिए रोक लगवाई है
जिस पर सासंद साहू ने कहा कि स्थगन आदेश के कारण हम महानदी के पानी का उपयोग नहीं कर सकते। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूसरी बार सरकार बनने के उपरांत उक्त समस्या के समाधान के लिए दोनों राज्य के सरकारों की सहमति से समिति का गठन किया गया है।
उक्त समिति को 2 वर्ष में अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को प्रस्तुत करना था, किन्तु अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार 19 बैठकें हो चुकी है। उक्त समिति में ओडिशा के नेता द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ की सरकार रूचि नहीं ले रही है इसलिए निराकरण में देरी हो रही है। सांसद साहू ने कहा कि महासमुंद जिला एवं छग के हित में उक्त मसले का समाधान जरूरी है।
समिति द्वारा मसले का समाधान नियत अवधि पर हो जाने से कौन सा राज्य महानदी का कितना पानी का उपयोग सिंचाई के लिए करेगा ये निश्चित हो जाएगा। अभी तक महानदी के पानी का उपयोग छत्तीसगढ़ द्वारा लगभग 20 से 25 प्रतिशत तक ही उपयोग किया जा रहा है। सांसद साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार महानदी जल बंटवारा के लिए आगामी दिनों में होने वाली बैंठकों में रूचि दिखाते हुए छग की ओर से मजबूत पक्ष रखें।
ताकि, छग के किसानों को महानदी के पानी का सिंचाई के लिए उपयोग करने का अधिकार प्राप्त हो। सांसद साहू ने उक्त बयान बजट सत्र में ओडिशा के सांसदों द्वारा महानदी जल बंटवारा को लेकर किए प्रश्न के परिपे्रक्ष्य में दिए।
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