वैसे तो डॉक्टरों को धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है, जो लोगों को दूसरा जीवन देते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के कौशांबी से डॉक्टरों की संवेदनहीनता का ऐसा मामला सामने आया है, जिसके कारण तीन साल की मासूम बच्ची की जान चली गई। बच्ची के परिजनों ने इस दौरान डॉक्टरों के आगे गिड़गिड़ाते रहे लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
बच्ची के परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने उनकी बच्ची को पेट में टांके लगाए बिना ही अस्पताल से बाहर निकाल दिया, जिसके कारण बच्ची के मौत हो गई। घटना के बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल के बाहर ही बच्ची के शव को रखकर प्रदर्शन किया। जब पुलिस को मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने डॉक्टर को बुलाकर अस्पताल के गेट पर ही बच्ची के पेट में टांका लगवाया और बच्ची के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
प्रयागराज करेली थाने के करेहदा निवासी मुकेश मिश्रा की तीन वर्षीय बेटी खुशी को 15 फरवरी को अचानक पेट दर्द की शिकायत हुई। वह परिजनों के साथ अपनी बेटी को इलाज के लिए पिपरी थाना क्षेत्र के रावतपुर स्थित यूनाइटेड मिडी सिटी अस्पताल में लेकर आये। यहां पर डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया। जांच के बाद रिपोर्ट आई तो डॉक्टरों ने आंत में इन्फेक्शन होने की शिकायत बताई।
डॉक्टरों ने उसे दवा से ठीक होने का आश्वासन दिया, लेकिन जब बच्ची ठीक नहीं हुई तो उसका ऑपरेशन किया गया। परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन करने के बाद ठीक से ड्रेसिंग नहीं की गई। जिसके चलते पेट में पस आ गई। इसके बाद डॉक्टरों ने दोबारा ऑपरेशन करने की सलाह दी। जिसके लिए ब्लड भी मंगवाया गया। वहीं 3 मार्च को बच्ची का दोबारा ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन करने के बाद 3 मार्च को हालत गंभीर बता कर मासूम बच्ची को प्रयागराज रेफर कर दिया गया।
परिजनों के अनुसार बच्ची की हालत इतनी नाजुक हो गई कि किसी भी डॉक्टर ने उसका इलाज करने और अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया। ऐसे में वह 2 दिन तक इधर-उधर भटकते रहे जिसके बाद वह एक बार फिर से वापस यूनाइटेड मिडी सिटी अपनी बच्ची को लेकर अस्पताल आए।
परिजनों का आरोप है कि उन्हें अस्पताल गेट के बाहर ही खड़ा कर दिया गया और भीतर नहीं आने दिया गया। तकरीबन 3 घंटे बाद बच्ची की अस्पताल गेट के बाहर ही मौत हो गई. बच्ची की 5 मार्च को करीब 2 बजे के करीब मौत हो गई।
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