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जिले में चल रहा लाल ईंट का अवैध कारोबार… प्रदूषण के मामले में कार्रवाई नहीं…

कोरबा: जिले में लाल ईंट का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। सरकारी भवनों में राखड़ ईंट का उपयोग जरूरी करने के बाद भी लाल की मांग कम नहीं हुई है। खनिज विभाग ने इस साल 5 चिमनी भटठों को ही लाइसेंस जारी किया है, लेकिन हर ब्लॉक में नदी-नालों के किनारे 100 से अधिक लाल ईंट-भट्ठे संचालित हो रहे हैं, जहां 3 से 4 करोड़ तक ईंट बनाई गई है। इससे 6 करोड़ से अधिक का कारोबार होता है।

ईंट पकाने में कोयले के उपयोग से प्रदूषण भी फैल रहा है, लेकिन जिम्मेदार विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। खनिज विभाग के साथ ही राजस्व विभाग कार्रवाई करता है, लेकिन वह भी ट्रैक्टर में परिवहन पर कार्रवाई तक ही सीमित रहता है। लाल ईंट के निर्माण से पर्यावरण के साथ खनिज रॉयल्टी का भी नुकसान होता है। अवैध ईंट-भठ्टे में चोरी का कोयला और वनांचल में जंगल से लकड़ी काटकर खपाते हैं। यह जांच में खुलासा हुआ है। प्रशासन के अधिकारी इस समय रेत पर ही अधिक ध्यान दे रहे हैं।

प्रदूषण को देख चिमनी ईंट-भट्ठे को शासन लाइसेंस जारी करता है। अभी बैगापाली, जेंजरा में एक- एक व धवईपुर में तीन चिमनी भठ्टे को लाइसेंस दिया है। इसके लिए पर्यावरण विभाग से भी एनओसी जारी की जाती है, लेकिन प्रदूषण फैलने से रोकने में विभाग की कार्रवाई जीरो है। कटघोरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत बतारी व देवगांव के बीच में बिंझरी जंगल श्मशान घाट के पास 22 ईंट.भठ्टें हैं, जहां इस साल 20 लाख ईंट बनाए गए हैं, लेकिन अब तक यहां कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अधिकांश लोग चोरी का कोयला खपाते हैं।

यहां के अधिकांश लोग कुम्हार हैं, लेकिन किसी ने भी लाइसेंस नहीं लिया है। बरपाली उप तहसील क्षेत्र के पकरिया में सडक़ किनारे अवैध ईंट-भट्टा का संचालन किया जा रहा है। इसके अलावा तुमान में नदी-नालों के किनारे भी भट्टे संचालित हो रहे हैं। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। ईंट बनाने के लिए नदी-नालों के पानी का उपयोग करते हैं। व्यवसायिक उपयोग के बाद भी लाइसेंस नहीं लिया। करतला ब्लॉक के ग्राम पंचायत छुईया, टोंडा के आसपास दर्जनों ईंट-भट्टे का संचालन हो रहा है। यह क्षेत्र जांजगीर-चांपा जिले से लगा हुआ है।

इसकी वजह से यहां की ईंट वहां के लोग भी ले जाते हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण किसी की नजर भी नहीं पड़ती। अभी रोज यहां से चार से पांच ट्रैक्टर ईंट निकल रही है। बिंझरी जंगल में ईंट भठ्टे का संचालन करने वाले एक संचालक का कहना था कि हम लोग 20-20 हजार रुपए एक व्यक्ति को देते हैं। वह कौन से अफसर को देता है, इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन बदले में वह भट्टा संचालकों को सुरक्षा देता है। पोड़ी उपरोड़ा एसडीएम संजय मरकाम का कहना है कि क्षेत्र में लगातार कार्रवाई की जा रही है। व्यवसाय करने के लिए लाइसेंस जरूरी है।

खनिज विभाग से रॉयल्टी पर्चियां जारी होती है। घर के लिए ईंट बनाने पर ग्राम पंचायत से अनुमति जरूरी होती है। पर्यावरण अधिकारी का कहना है कि चिमनी ईट भठ्टे को एनओसी जारी करते हैं। अभी तक विभाग की ओर से प्रदूषण के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं खनिज विभाग के अधिकारी कहते है कि अवैध ईंट भट्टे के कई प्रकरण दर्ज किए गए हैं। साथ ही जुर्माना वसूलने की कार्रवाई की जा रही है। प्रदूषण फैलाने के मामले में पर पर्यावरण विभाग कार्रवाई करती है।

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