नई दिल्ली. केंद्र ने बुधवार को संसद को बताया कि किसी भी विदेशी सरकार ने केंद्र के कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों के विरोध का समर्थन नहीं किया. हालांकि, यह कहा गया कि कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों में भारतीय मूल के “कुछ प्रेरित” व्यक्तियों द्वारा कानूनों को लेकर कुछ विरोध किया गया. एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील सैयद ने आंदोलन का समर्थन करने वाले पीआईओ और देशों, अगर कोई हो, पर विदेश मंत्रालय को सवालों की एक सूची दी थी.
विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसानों से संबंधित मुद्दों पर एक टिप्पणी की थी और कनाडा को अवगत कराया गया था कि भारत के आंतरिक मामलों से संबंधित इस तरह की टिप्पणी “अनुचित” और “अस्वीकार्य” है. संसद में मंत्री की प्रतिक्रिया ऐसे दिन आई जब पॉप स्टार रिहाना और वैश्विक पर्यावरणविद् ग्रेटा थनबर्ग ने आंदोलन का समर्थन किया. बाद में, कई मंत्रियों ने दावा किया कि यह ‘अंतरराष्ट्रीय प्रचार’ का एक हिस्सा था जिसका उद्देश्य भारत और उसकी सरकार को बदनाम करना था. विदेश मंत्रालय ने इससे पहले एक बयान जारी कर कहा था कि किसानों के विरोध पर ट्वीट करने वाली हस्तियां न तो सटीक थीं और न ही जिम्मेदार.
उन्होंने कहा कि “किसी भी विदेशी सरकार ने भारतीय संसद द्वारा पारित तीन बिलों के खिलाफ भारतीय किसानों के आंदोलन को समर्थन नहीं दिया है. कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों में, भारतीय कृषि बिल से संबंधित मुद्दों पर कुछ प्रेरित पीआईओ द्वारा विरोध किया गया है.”
ट्रूडो की टिप्पणी पर भारत ने दी थी ये सलाह
मंत्री ने ट्रूडो की टिप्पणी को लेकर कहा कि इस मामले को ओटावा और नई दिल्ली दोनों में कनाडाई अधिकारियों के सामने उठाया गया था और बताया गया था कि “भारत के आंतरिक मामलों से संबंधित ऐसी टिप्पणियां अनुचित, अस्वीकार्य हैं और भारत-कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाएंगी.”
दिसंबर की शुरुआत में, ट्रूडो ने भारत में आंदोलनकारी किसानों का समर्थन करते हुए कहा था कि कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकारों की रक्षा करता रहेगा, और उन्होंने स्थिति पर चिंता व्यक्त की.
मुरलीधरन ने कहा “कनाडा सरकार ने चिंता के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए किसानों के साथ चल रही बातचीत के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता का स्वागत किया है.”
विवादास्पद कृषि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली के बाहरी इलाके में तीन सीमा बिंदुओं पर दसियों हज़ारों किसान दो महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
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