रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग एक बार फिर से सवालों के घेरे में हैं..साल 2019 में सहायक प्राध्यापक की भर्ती परीक्षा में शामिल एक उम्मीदवार ने गंभीर आरोप लगाया है कि मेंस परीक्षा में अनुपस्थित रहे उम्मीदवार को भी क्वालीफाईड बता कर आयोग ने इंटरव्यू के लिए बुला लिया है.. हालांकि आयोग इन सारे आरोपों को सिरे से नकार रहा है.. इधर बीजेपी ने आयोग के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सीएम को ज्ञापन सौंपा है। ऐसे में सवाल है कि… आखिर कब तक पीएससी की कार्यशैली पर ऐसे गंभीर आरोप लगते रहेंगे..
5 नवंबर 2019 को पीएससी की सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में शामिल उम्मीदवार वीरेंद्र पटेल के पत्र के बाद पीएससी कठघरे में है.. वीरेंद्र ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग पर बेहद गंभीर आरोप लगाया कि अमलीडीह के जिस हायर सकेंडरी स्कूल में उन्होंने लिखित परीक्षा दी थी, उसी परीक्षा कक्ष के ऐसे उम्मीदवार को क्वालीफाइड बता कर इंटरव्यू के लिए कॉल किया गया है, जो दरअसल एग्जाम सेंटर में मौजूद था ही नहीं.. वीरेंद्र ने बकायदा इसकी लिखित शिकायत आयोग से की.. शिकायत की कॉपी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के बाद, चौतरफा आयोग पर सवाल उठने लगे.. जिससे हड़बड़ाए आयोग ने तुरंत वीरेंद्र पटेल को बुलाकर बयान दर्ज किया…।
वीरेंद्र पटेल, अभ्यर्थी ने कहा कि मैं अभी भी अपने बयान पर कायम हूं..। मेरे पीछे एक लड़का था, जो सीट चेंज कर 93 नंबर टेबल पर बैठ गया, लेकिन असल में 93 नंबर का कैंडिडेट एबसेंट था..। लेकिन रिजल्ट आया तो 93 वाले उम्मीदवार को पास बता दिया गया… उसमें विडियोग्राफी भी हुई थी, आयोग विजुअल चेक कर ले, सब साफ हो जाएगा..।
इधर राज्य लोक सेवा आयोग ने अमलीडीह परीक्षा केंद्र की प्रिंसिपल और इनविजिलेटर को भी तमाम दस्तावेज के साथ तलब कर लिया.. सभी के बयान दर्ज किए गए.. परीक्षा कक्ष की सिटिंग अरेंजमेंट से लेकर सारे दस्तावेज भी मांग लिए.. हालांकि ये भी इन आरोप को सिरे से नकार रही हैं..दूसरी ओर आयोग ने भी प्रारंभिक जांच के बाद उम्मीदवार के लगाए आरोप को खारिज करते हुए सबूत के रूप में एग्जाम हॉल का उपस्थिति पत्र सामने रखा है..
दस्तावेजों के आधार पर आयोग की सफाई एक हद तक ठीक लग रही है..लेकिन बीजेपी ने गड़बड़ियों को लेकर आयोग और सरकार के खिलाफ जरूर मोर्चा खोल दिया है.. बीजेपी और उसकी युवा मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए आयोग की गड़बडियों को मीडिया के सामने रखा..भाजयुमो ने तो कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए गुरुवार को पीएसएसी का पुतला दहन का ऐलान किया है..बीजेपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सत्ता पक्ष की ओर से रविंद्र चौबे ने कहा कि 2003 से लेकर जो अनियमितता बीजेपी के शासनकाल में शुरू हुई..उसका जवाब कौन देगा..
बहरहाल शिकायतकर्ता वीरेंद्र पटेल ने आयोग के जवाब से असंतुष्ट होकर त्ज्प् लगाकर परीक्षा से जुड़ी जानकारी मांगी है.. सवाल है…इतने सालों बाद भी, और इतनी ग़लतियों के बावजूद छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग पेशेवर क्यों नहीं बन पाया ? लगातार विवादों में रहने के बाद भी आयोग अपनी परीक्षाओं की विडियोग्राफी क्यों नहीं कराता ? ऑफलाइन परीक्षा होने पर भी ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी उम्मीदवारों को उपलब्ध क्यों नहीं कराता है.. आखिर परीक्षा केंद्र में उम्मीदवारों का थंब इंप्रेशन भी नहीं लिया जाता है.. सवाल ये भी कि आखिर पारदर्शिता के दावे के बीच आयोग की परीक्षाओं में इतनी खामियां क्यों…।
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