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बड़ी खबर: PF में निवेश करने वालों को झटका… इससे ज्यादा कमाई पर लगेगा TAX…

बजट 2021 के ऐलान के बाद प्रोविडेंट फंड (PF) में निवेश करने वालों को झटका लगा है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि अब एक वित्त वर्ष में केवल 2.5 लाख रुपये तक निवेश करने पर ही टैक्स में छूट का लाभ मिलेगा. यानी इससे अधिक निवेश किया है तो ब्याज से कमाई टैक्स के दायरे में आएगी. फिलहाल पीएफ पर ब्याज दर 8 प्रतिशत है और ब्याज से होने वाली इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री है.

मतलब यह है कि अगर किसी के पीएफ में साल में 2.5 लाख से ज्यादा जमा होता है तो उसको इस पर मिलने वाले Return पर ब्याज देना होगा. यह नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू होगा. नए नियम के मुताबिक ऐसे व्यक्ति जिनका भविष्य निधि अंशदान किसी वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख या उससे अधिक है, तो वे अगले वित्तीय वर्ष से अर्जित ब्याज पर कर छूट का लाभ नहीं ले पाएंगे.



कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड में निवेश से सालाना 2.5 लाख रुपये तक के निवेश से होने वाली रिटर्न आय को ही टैक्स फ्री रखा गया. अब इससे ऊपर के निवेश से मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स लगेगा.

बजट 2021 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘बड़ी कमाई करने वाले कर्मचारियों द्वारा अर्जित इनकम के लिए टैक्ट छूट को युक्तिसंगत बनाने की खातिर कर्मचारियों के विभिन्न भविष्य निधि के लिए 2.5 लाख के सालाना कंट्रीब्यूशन से अर्जित रिटर्न पर टैक्स छूट को रोकना प्रस्तावित है. अभी तक प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाले रिटर्न को टैक्स से मुक्त रखा गया था.’

बजट पेश करने के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘EPFO श्रमिकों के कल्याण के लिए है और इस कदम से वे प्रभावित नहीं होंगे. यह केवल EPFO में आने वाली भारी-भरकम रकम के लिए जिन्हें टैक्स से राहत मिलती है और 8 फीसदी का रिटर्न भी मिलता है.’

कांग्रेस ने साधा निशाना
गौरतलब है कि प्रोविडेंट फंड, नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश पर भी टैक्स लाभ मिलता है. इसके तहत निवेश सेक्शन 80सी के तहत आता है. इसके अलावा इंट्रेस्ट इनकम और विदड्रॉल भी पूरी तरह टैक्स फ्री है. वहीं पीएफ को भी टैक्स के दायरे में लाने पर कांग्रेस ने निशाना साधा है.



कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने ट्वीट किया, मोदी सरकार के बजट 2021 में सरकारी संपत्ति को पूंजीपति मित्रों को बेचने की योजना है. वंचित तबके को कोई राहत नहीं दी गई है. पीएफ को टैक्स के दायरे में लाकर सबसे बड़ी मार मिडिल क्लास पर पड़ी है. पेट्रोल, डीजल और एलपीजी पर कोई राहत नहीं है.नरेगा फंड में 42 फीसदी की कटौती करके ग्रामीण महिला पर चोट पड़ी है.

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