अग्रवाल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। इसमें उनके भाई अशोक कुमार अग्रवाल, पवन कुमार अग्रवाल और चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील अग्रवाल को भी आरोपी बनाया गया है। इनपर मनी लांड्रिग के अलावा भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज है। बाबूलाल अग्रवाल को ED ने 09 नवम्बर 2020 को गिरफ्तार किया था।
मनी लांड्रिंग मामलों के लिए रायपुर की विशेष अदालत में दाखिल आरोपपत्र में ED के जांच अधिकारियों ने बताया है, फरवरी 2010 में छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो में बाबूलाल अग्रवाल और उनके भाइयों पर दर्ज एफआईआर और आयकर विभाग के छापे में सामने आए तथ्यों के आधार पर मनी लांड्रिंग की जांच शुरू किया था। बाद में अग्रवाल परिवार पर सीबीआई ने तीन अन्य मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से दो में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।
ED ने कहा, जांच में यह पता चला कि बाबूलाल अग्रवाल के साथ मिलकर उनके भाइयों अशोक कुमार अग्रवाल, पवन कुमार अग्रवाल और CA सुनील अग्रवाल ने खरोरा और आसपास के गांवाें के करीब 400 लोगों के बैंक खाते खोले।
इन खातों में इनकी ओर से नकद राशि जमा की गई। आरोप है कि CA सुनील अग्रवाल 13 शेल कंपनियां संचालित कर रहे थे। उसके अलावा कोलकाता और दिल्ली की 26 शेल कंपनियों के जरिए रुपयों को कई तहों में भ्रष्ट तरीकों से उनकी पारिवारिक कंपनी प्राइम इस्पात की पूंजी और प्राइम शेयर के रूप में इकट्ठा किया गया।
अधिकारियों ने बताया, बाबूलाल अग्रवाल को 11 नवम्बर 2020 को गिरफ्तार किया गया था। तबसे वे न्यायिक हिरासत में हैं। ED ने बाबूलाल अग्रवाल को संबंधित अपराधों के लिए सजा देने और उनकी 63 कराेड़ 95 लाख रुपये मूल्य की संपत्ति जब्त करने की मांग की है।
पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी
1988 बैच के IAS बाबूलाल अग्रवाल पर CBI ने भ्रष्टाचार के मामले में 2010 में केस दर्ज किया था। 22 फरवरी 2017 को CBI ने उन्हें गिरफ्तार भी किया। आरोप है कि उस केस को खत्म कराने के लिए उन्होंने नोएडा और हैदराबाद के दो दलालों के माध्यम से पीएमओ को रिश्वत देने की कोशिश की थी। डील डेढ़ करोड़ में तय हुई थी जिसमें से 60 लाख रुपये नकद दिए जा चुके थे, बाकी रकम सोने के रूप में दी जानी थी।
36 करोड़ की संपत्ति हुई थी जब्त
2017 में दिल्ली से रायपुर पहुंची CBI की टीम ने उनके घर में छापा मारा था। वहां से सोना और नकद रुपये बरामद किए गए थे। गिरफ्तारी के बाद आईएएस बाबूलाल अग्रवाल 73 दिनों तक जेल में रहे। उस समय उनकी 36 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त हुई थी। बाद में शिक्षा विभाग में प्रमुख सचिव रहे बाबूलाल अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था।
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