राजधानी के एक पुलिस अफसर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल से ऐसा उपकरण बनाया है, जो नो-पार्किंग में गाड़ियों के घुसते ही शोर मचाएगा। अर्थात, जैसे ही नो-पार्किंग लाॅट में कोई गाड़ी खड़ी होगी, तो वहां लगे लाउडस्पीकर से घोषणा शुरू हो जाएगी कि गाड़ी गलत जगह पार्क कर दी है, इसे तुरंत हटाइये। पहला सिस्टम जयस्तंभ चौक स्थित किरण बिल्डिंग के सामने वाली जगह पर लगेगा। पुलिस का दावा है कि विकसित राज्यों में ही अभी इस तरह का कोई सिस्टम शुरू नहीं हुआ है। इस सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए नो-पार्किंग जोन पर स्पेशल कैमरे लगेंगे। ट्रैफिक डीएसपी सतीश ठाकुर ने यह सिस्टम डेवलप किया है। दरअसल पुलिस अफसरों को डीजीपी डीएम अवस्थी ने टास्क दिया है कि कुछ ऐसे हाईटेक सिस्टम भी डेवलप होने चाहिए, जिनसे बिना पुलिस को ट्रैफिक कंट्रोल हो सके।
डीएसपी ठाकुर ने बताया कि इस सिस्टम का बेस उन्हें इंटरनेट पर ऐसे डिवाइस से मिला, जो आवाज देने पर तुरंत रिप्लाई करता है, और कमांड भी फाॅलो करता है। अफसर ने इसी आधार पर सिस्टम डेवलप करने के लिए अपने दो दोस्तों से संपर्क किया। इनमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है तो दूसरा इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर। तीनों ने मिलकर एक माह में स्मार्ट पार्किंग डिवाइस बनाई और ट्रायल भी कर लिया है।
ऐसे बनाया : इस डिवाइस को बनाने में 35 हजार रुपए की लागत आई है। इसमें एक हाई रेंज कैमरा लगा है, जो 150 मीटर तक फोकस करता है। यह कंप्यूटर और लाउडस्पीकर से कनेक्ट है। जैसे ही कैमरे की रेंज में कोई भी कार, बाइक या अन्य गाड़ी आएगी, लाउडस्पीकर से उद्घोषणा शुरू होगी, जो 15 मिनट तक बंद नहीं होगी। अगर गाड़ी नहीं हटी तो फिर पुलिस आकर इसे हटवा देगी।
गोगांव अंडरब्रिज का काम 5 साल बाद फिर शुरू
रिंग रोड-2 से लगे इलाके के लोगों का गुढ़ियारी आना-जाना आसान करने के लिए बन रहे गोगांव क्रासिंग अंडरब्रिज का काम 5 साल बाद दोबारा शुरू किया गया है। पीडब्ल्यूडी अफसरों के मुताबिक यह जून-जुलाई तक शुरू हो जाएगा। इस अंडरब्रिज का काम 2015 में शुरू हुआ और मई-2017 में ट्रैफिक चालू करने का टारगेट था। लेकिन पौने दो साल में ठेकेदार केवल 50 मीटर गड्ढा खोदकर बाक्स ही लगा सका और संसाधन नहीं होने से ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। अब इसे बनाने के लिए पुराने ठेकेदार के साथ एक और कंपनी को लगाया गया है। शुरुआत पटरी के नीचे बॉक्स पुशिंग से हुई है और यह काम 17 मीटर तक हो गया है। करीब तीन माह में पटरी के नीचे का काम पूरा हो जाएगा। उसके बाद एप्रोच रोड बनेगी।
टू-लेन अंडरब्रिज, बड़ी गाड़ियां भी जाएंगी
करीब 15 करोड़ की लागत वाले अंडरब्रिज की ऊंचाई 5 मीटर होगी। इससे ट्रक और बसें भी पार हो सकेंगी। अंडरब्रिज बनने के बाद रेलवे फाटक स्थाई तौर पर बंद हो जाएगा। अभी उरकुरा-सरोना बाइपास रेललाइन से बड़ी संख्या में मालगाड़ियां गुजरने केकारण हर 20वें मिनट में रेलवे फाटक बंद हो रहा है और हर दोनों ओर लंबा जाम लग रहा है।
हर रोड पर नए सिरे से जेब्रा क्रासिंग
सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में तय हुआ है कि राजधानी की सभी प्रमुख सड़कों और चौराहों पर जेब्रा क्रासिंग फिर बनाई जाएगी। यह काम एक माह में पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। यही नहीं, ऐसे चौराहों-तिराहों की सूची बन रही है, जिनमें रोड इंजीनियरिंग की गंभीर खामियां हैं। एक्सपर्ट की टीम इस काम में लगी है। ऐसे सभी चौराहों का डिजाइन बदला जाएगा।
सड़क सुरक्षा समिति की हाल में हुई बैठक में हुए फैसलों को लागू करने के लिए कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने नगर निगम, परिवहन, पीडब्ल्यूडी, नेशनल हाईवे, बिजली कंपनी और स्मार्ट सिटी के चुनिंदा अफसरों को मिलाकर टीम बना दी है। इस टीम ने शहर का सर्वे भी शुरू कर दिया है। पीडब्लूडी के अफसरों से कहा गया कि वे शहर के खतरनाक स्पाॅट को खत्म करने के लिए चौराहों की इंजीनियरिंग सुधारने पर सुझाव दें।
यहां नए सिरे से स्टॉप लाइन, जेब्रा क्रासिंग, सड़क संकेतक केसाथ-साथ भरपूर लाइट्स लगेंगी ताकि रात में हादसे न हों। जहां जरूरत होगी, वहां डिवाइडर भी बनेंगे। कुछ जगहों पर ट्रैफिक सिग्नल सही तरीके से नहीं चलने की शिकायतें भी मिल रही हैं। ऐसे में सभी सिग्नल के टाइमर एक-दूसरे से मैच करें इसके लिए प्रॉपर रोड इंजीनियरिंग का सहारा लिया जाएगा।
सभी सड़कों पर आपसी समन्वय से काम हो इसलिए सभी विभागों के अफसरों को इस टीम में शामिल किया गया है। जिस विभाग को जो जिम्मेदारी दी गई है उसे पूरी करनी होगी। कलेक्टर ने साफ कर दिया है कि एक महीने के भीतर यह सभी काम पूरे हो जाने चाहिए।
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