बिलासपुर। 10 साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों को क्रमोन्न्त वेतनमान देने का प्रावधान है। फिर भी शासन ज्यादातर शिक्षकों को इसका लाभ नहीं दे रहा है। वहीं जिन शिक्षकों को बढ़े हुए क्रमोन्न्त वेतनमान दिया जा रहा है उनका भुगतान रोक दिया गया। ऐसे ही बढ़े हुए वेतनमान रोकने के मामले में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने शिक्षक को बढ़े हुए वेतनमान देने के निर्देश दिए हैं।
मामला बलौदाबाजार जिले के भाटापारा ब्लाक का है। याचिकाकर्ता मनीषा वर्मा व एक अन्य शिक्षक वर्ष 1998 से शिक्षाकर्मी के पद पर कार्यरत हैं। इस बीच उनका नियमितीकरण करने के बाद संविलियन भी किया गया। शासन के प्रावधान के अनुसार एक ही पद पर 10 साल की सेवा अवधि पूरी करने पर जनपद पंचायत सीईओ ने 25 नवंबर 2019 से उनका क्रमोन्न्त वेतनमान स्वीकृत किया।
इस आदेश के बाद से उन्हें क्रमोन्न्त वेतनमान का लाभ मिल रहा था। लेकिन मार्च 2020 से बिना किसी सूचना के अचानक क्रमोन्न्त वेतनमान देना बंद कर दिया गया। इस पर उन्होंने संबंधित अधिकारियों के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। लिहाजा उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इसमें बताया गया कि याचिकाकर्ताओ को बिना कोई नोटिस जारी किए उनका क्रमोन्न्त वेतनमान रोका गया है।
साथ ही उनके पुराने वेतनवृद्धि भी नहीं जोड़ी गई है। याचिकाकर्ता बिना किसी कटौती के क्रमोन्न्त वेतनमान के हकदार हैं। इस प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस गौतम भादुड़ी ने याचिकाकर्ताओं के बढ़े हुए वेतनमान को यथावत रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही मामले में जिला शिक्षा अधिकारी व जनपद पंचायत सीईओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
बिलासपुर जिले में भी 10 साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों को क्रमोन्न्त वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा है। वहीं जिन शिक्षकों को क्रमोन्न्त वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है उस पर रोक लगाई जा रही है। यही वजह है कि शिक्षकों को क्रमोन्न्त वेतनमान को लेकर हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है।
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