रायपुर. मां के गुनाहों की सजा काट रहे मासूमों के जीवन पर अब जेल की छाया तक नहीं पड़ेगी, क्योंकि अब बंदी-कैदी महिला के पैदा होने वाले बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र पर जन्म स्थान की जगह जेल शब्द का उपयोग नहीं किया जाएगा और न ही जेल में बच्चा पैदा होगा। गर्भवती बंदी व कैदी महिला के प्रसव के समय जेल परिसर से अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा।
यही नहीं, 6 साल की उम्र तक ही बच्चों को उसकी मां के साथ जेल में रखा जाएगा। इसके लिए जेल प्रशासन ने सभी जेलों को आदेश जारी किया है। वहीं, गर्भवती महिला की पूरी डिटेल जेल मुख्यालय को भेजना अनिवार्य किया गया है। इस नई गाइड लाइन का पालन करने की शुरुआत हो गई है।
दरअसल, जेल में जन्म लेने वाले बच्चों के जन्म स्थान व एड्रेस की जगह जेल परिसर लिखा जाता था। इससे बच्चों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता था। इसे देखते हुए जेल प्रशासन ने सुधार किया है।
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