बिलासपुर। मरवाही वन परिक्षेत्र अंतर्गत अंडी गांव में रविवार की देर रात सफेद भालू का बच्चा कुएं में गिर गया। इस घटना में उसकी मौत हो गई। सुबह सूचना मिलने के बाद वन अमला पहुंचा और मृत भालू को बाहर निकाला। पंचनाम और पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार किया गया।
मरवाही भालू प्रभावित क्षेत्र है। जंगल से सटे गांवों में सब्जी-फल खाने के लिए भालू पहुंचते हैं। रविवार की रात को भी यही हुआ। अंडी निवासी श्याम सिंह के घर के पीछे बाड़ी है, जहां उन्होंने सब्जियां उगा रखी हैं। इसमें उन्होंने अस्थाई घेरा लगाया है। बाड़ी में एक अनुपयोगी कुआं है। जंगल से लगे होने के कारण मां के साथ यह भालू भी पहुंचा। इसी बीच वह कुएं में गिर गया।
भालुओं ने रात में गांव में दस्तक दी। इसलिए किसी को इसकी जानकारी नहीं मिली, लेकिन जब बच्चे के गिरने के बाद मादा भालू की जोर-जोर से आवाज आई तो ग्रामीणों की नींद खुल गई। हालांकि ग्रामीण बाहर नहीं निकले। सुबह मौके पर पहुंचे तो देखा कि सफेद भालू का बच्चा कुएं में मृत पड़ा था। उन्होंने इसकी जानकारी वन विभाग को दी। घटनास्थल पहुंचकर वन कर्मियों ने मृत भालू को बाहर निकाला। इसके बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
खाने की तलाश में पहुंचे थे गांव
इस घटना ने वन विभाग की जामवंत योजना की पोल खोल दी है। इसके तहत जंगल के अंदर फलदार वृक्षों को लगाने के साथ ही बड़े क्षेत्र को तार से घेरने के निर्देश हैं। हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है। खाने की तलाश में भालू अक्सर गांव पहुंच जाते हैं। पहले भी भालुओं को गांव में देखा गया है। जंगल के अंदर पानी व भोजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें बाहर आना पड़ता है।
33 साल बाद दिखा सफेद भालू
मरवाही भालू प्रभावित क्षेत्र है। अक्सर ग्रामीणों का सामना भी होता है। इससे पहले 1987 में ग्रामीणों ने सफेद मादा सफेद भालू को देखा था। उस समय छत्तीसगढ़ का गठन नहीं हुआ था। सफेद भालू को भोपाल भेज दिया गया। उसका नाम कमली रखा गया था। 33 वर्षों बाद सफेद भालू मिला है, लेकिन वह मृत अवस्था में। इस घटना के बाद वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
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