केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के चक्काजाम आंदोलन की तैयारियां तेज हो गई हैं। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े संगठनों ने बैठक कर तैयारियों को अंतिम रूप दिया। किसान संगठनों ने आंदोलन की मांगों में केंद्रीय कृषि कानून वापस लेने के साथ धान की सरकारी खरीदी 10 नवम्बर से शुरू करने की नई मांग भी जोड़ दी है। सरकार ने एक दिसम्बर से खरीदी शुरू करने की बात की है।
आंदोलन से जुड़े सुदेश टीकम, संजय पराते, विजय, आलोक शुक्ला, रमाकांत बंजारे और नंद कुमार कश्यप ने आरोप लगाया, केंद्र सरकार के कृषि संबंधी तीनों कानून आजादी के बाद किसानों की आजादी पर सबसे बड़ा हमला हैं। लागत का डेढ गुना समर्थन मूल्य देने का वादा कर सत्ता में आई भाजपा इन कानूनों के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को ही खत्म करने की कोशिश कर रही है।
किसान नेताओं ने कहा, सरकार ने बड़े कॉर्पोरेट घरानों को निजी मंडी स्थापित करने की छूट दे दी है, जिससे वे किसानों की उपज को मनमानी कीमत पर खरीद पाएं। बाद में इसी अनाज को दबाकर और बाजार में कृत्रिम संकट पैदा कर उपभोक्ता से इसकी अधिक कीमत वसूल सकें।
राज्य सरकार पर भी उठाए सवाल
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने कहा, राज्य सरकार ने तीनों केंद्रीय कानूनों को निष्प्रभावी करने का वादा किया था। लेकिन यहां सिर्फ निजी मंडियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने के लिए कानून में संशोधन किया गया।
न्यूनतम समर्थन मूल्य, कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग और आवश्यक वस्तु अधिनियम के बारे में सरकार ने भी चुप्पी साध ली है। किसान नेताओं ने साफ कहा, राज्य सरकार का मंडी संशोधन कानून किसी भी तरह से किसानों के हितों की रक्षा नहीं करता।
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