जगदलपुर. बस्तर के मशहूर रंगकर्मी सत्यजीत भट्टाचार्य ‘बापी दा’ का निधन हो गया है. बापी दा पिछले छह महीने से बोन कैंसर से पीड़ित थे. 58 साल के बापी दा ने बीती रात 1 बजे अंतिम साँस ली. अभियान संस्था के जरिये रंगमंच से जुड़े बापी दा ने देश-विदेश में बस्तर को एक अलग पहचान दिलाई. बापी दा के निधन से कला प्रेमियों में शोक की लहर है.
नाट्यश्री, नाट्यभूषण, नाट्यरत्न जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित बापी दा का असमय चले जाना अंचल के लिए अपूरणीय क्षति है. बापी दा ने जगदलपुर में कई सालों तक नाट्य परब का आयोजन किया जिसमे देश भर के रंगकर्मी अपनी कला का प्रदर्शन करने बस्तर आते रहे हैं.
बापी दा के नाम 5000 नुक्कड़ नाटकों का अनुभव रहा. उन्होंने करीब 100 नाटकों का निर्देशन किया. हिंदी व बंग्ला थियेटर के वे सशक्त हस्ताक्षर थे. कई बांग्ला नाटकों मे उनके अभिनय को भी लोगों ने देखा है. वे नई व पुरानी पीढी के रंगकर्मियो के बीच की कड़ी थे. उन्होने बस्तर के रंगकर्म को 70 के दशक से अब तक देखा था.
इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र मे भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से भी वे जुडे रहे एन सी एस टी सी नेटवर्क के वे मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ प्रमुख थे. बच्चों मे विज्ञान के प्रति अभिरुचि विकसित करने उक्त विभाग ने यह दायित्व उन्हे सौंपा था जिसका उन्होने बखूबी निर्वाह किया. पेशे से व्यावसायिक फोटोग्राफर होने के साथ-साथ कुशल वीडियोग्राफर, मूर्ति कार, मेकअप आर्टिस्ट, सिंगर, एंकर सब कुछ थे.
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