पिछले कुछ दिनों से दुनियाभर में कोरोना वायरस के दोबारा संक्रमण को लेकर खूब चर्चा हो रही है। इसका पहला मामला हांगकांग में देखने को मिला था जब एक व्यक्ति कोरोना से ठीक होने के कुछ महीनों बाद फिर से संक्रमित हो गया। इसके बाद भारत में भी कई जगहों पर दोबारा संक्रमण के मामले सामने आए। हालांकि भारत में अभी तक ऐसे मामलों की पुष्टि नहीं हुई है।
इस बीच दिल्ली से सटे फरीदाबाद में 23 लोगों के फिर से संक्रमित होने की सूचना मिली है। ईएसआईसी ने बुधवार को इस बात का खुलासा करते हुए बताया कि शहर में 23 ऐसे लोगों में फिर से कोरोना का संक्रमण पाया गया है, जिन्हें पहले संक्रमण मुक्त बताया गया था। इनमें ईएसआईसी कॉलेज के स्टाफ भी शामिल हैं।
ईएसआईसी के मुताबिक, दोबारा संक्रमित पाए गए 23 लोगों में से ज्यादातर 30 दिन से लेकर 70 दिन के बाद दोबारा संक्रमित हुए हैं जबकि 2-3 लोग ऐसे भी हैं जो महज 20 दिन बाद ही दोबारा संक्रमित हो गए। बताया जा रहा है कि पहली बार संक्रमण के दौरान सभी लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण पाए गए थे।
ईएसआईसी के डिप्टी डीन डॉ. ए. के. पांडे के मुताबिक, 14 दिन के बाद कोरोना से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है, जो दो से ढाई महीने तक बनी रहती है। उन्होंने बताया कि, लेकिन जिन 23 लोगों को दोबारा संक्रमण हुआ है, उनमें से सिर्फ 30 फीसदी लोगों के शरीर में ही एंटीबॉडी बनी है, बाकी बचे 70 फीसदी लोगों के शरीर में एंटीबॉडी बनी ही नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ. ए. के. पांडे का कहना है कि फिलहाल इसपर और शोध की जरूरत है, क्योंकि दोबारा संक्रमण के कई कारण हो सकते हैं। उनके मुताबिक, पहली बार कोरोना के संक्रमण से ठीक होने के बाद या तो उन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित नहीं हुई होगी या फिर उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी कम है।
कोरोना से ठीक होने के बाद भी सतर्क रहने की जरूरत
जिस तरह से दोबारा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में जो लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके हैं, उन्हें भी बाकी लोगों की तरह सतर्क रहने की जरूरत है। मास्क लगाने से लेकर हाथ धोने और सामाजिक दूरी का पालन उन्हें भी करना चाहिए, नहीं तो दोबारा संक्रमण का खतरा बना रहेगा।
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