जामुल के वार्ड-13 में एक महिला की घर में लाश मिली है। लाश की शिनाख्त सावित्री त्रिपाठी के रूप में हुई। पता चला है कि सावित्री नर्स थीं। लेकिन उसके शव के साथ जो हुआ वह कोई अमानवीय से कम नहीं था। सावित्री का शव 21 घंटे तक जमीन पर पड़ा रहा। आखिर में कोरोना सैंपल लिया, रिपोर्ट पॉजिटिव आई तब निगम कर्मियों ने शव को उठाया।
बेटे ने कहा-सिस्टम का ये अमानवीय चेहरा है। पुलिस की सूचना के 21 घंटे बाद मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एंटीजेन किट से जांच करने के बाद इसकी पुष्टि की। कमरे से बदबू आने पर मकान मालिक गेंदलाल चंद्राकर ने इस मामले की सूचना शुक्रवार की सुबह 11 बजे पुलिस को दी थी। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस को जब स्थानीय लोगों ने नर्स को 4 दिनों पहले तक बुखार होना बताया तो उसने कोरोना की जांच कराने का फैसला लिया। पुलिस ने सुपेला अस्पताल और निगम को सूचना दिया बावजूद 21 घंटे तक शव को नहीं उठाया था।
21 घंटे के बीच में क्या-कुछ हुआ, जानिए…
11 सितंबर
- सुबह 11: 00 बजे- मकान मालिक शव की सूचना दी।
- सुबह 11:15 बजे- मौके पर पुलिस ने मुआयना किया।
- दोपहर 12: 00 बजे- शव के जांच को सुपेला पहुंची पुलिस।
- दोपहर 12: 15 बजे- सुपेला प्रभारी ने शव लाने को कहा।
- दोपहर 12: 30 बजे- उपायुक्त से शव उठाने आग्रह किया।
- शाम 05: 45 बजे- निगम के कर्मचारी शव उठाने पहुंचे।
- शाम 06 : 00 बजे- शव का हाल, कीड़े देख भाग खड़े हुए।
12 सितंबर
- सुबह 11 बजे शासन आदेश लेकर पुलिस सुपेला पहुंची।
- सुबह 11: 30 बजे- इसे देखते ही प्रभारी टीम बनाने तैयार।
- दोपहर12:00 बजे- जांच के लिए दो डॉक्टरों की टीम बनाई।
- शाम 03: 30 बजे- दोनों डॉक्टर मौके पर पहुंचकर जांच किए।
- शाम 03: 50 बजे- दोनों ने बॉडी को कोरोना पॉजिटिव बताया।
- शाम 07: 00 बजे- निगम कर्मी पुन: शव लेने के लिए पहुंचे।
- रात 08 बजे- रामनगर मुक्ति धाम में अंतिम संस्कार किया।
पुलिस 32 घंटे तक शव की पहरेदारी करती रही
कोरोना रोकथाम संबंधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले दो प्रमुख विभागों की लापरवाही से पुलिस को 32 घंटे तक कोरोना सस्पेक्टेड शव की पहरेदारी करनी पड़ी। जिस सरकारी आर्डर को स्वास्थ्य विभाग और निगम के अफसरों को जानकारी होनी चालिए चाहिए। उसे आर्डर को पुलिस ने ही खंगाला और जिम्मेदारों को जानकारी दी। छायाप्रति उपलब्ध कराई।
5 दिन पहले ही तो मां ने बात की थी : बेटा
मां (नर्स) की मौत की सूचना के बाद मौके पर पहुंचा बेटा भगवती कहा कि पांच दिन पहले उसकी मां ने उसने फोन पर बात की थी। पापा से विवाद होने के उपरांत वह अलग कमरा लेकर रहने चली आई थी। पिता की मानसिक हालत ठीक नहीं होने से वह अलग रहना चाह रही थी। दो दिनों से उनकी मां का मोबाइल बंद चल रहा था।
संक्रमित नर्स की मौत कैसे, कोई और बात तो नहीं?
पुलिस के सामने यह बड़ा सवाल है कि आखिर महिला की मौत कैसे हुई? तबीयत बिगड़ी तो अस्पताल क्यों नहीं गई? किसी को सूचना क्यों नहीं दी? आखिर घर में कब और कैसे मौत हुई? इसका सवाल पुलिस को ढूंढना होगा।
खुद को सीएम हास्पिटल में काम करना बताती थी नर्स
मूलत: नंदनी, अहिवारा की रहने वाली यह महिला खुद को नर्स बताती थी। मकान मालिक को उसने बताया था कि वह सीएम हास्पिटल में काम करती है। आसपास के लोग भी उसे हास्पिटल कर्मचारी ही जान रहे थे।
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