मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ी भाषा, प्रदेश के पौने तीन करोड़ जनता की भावनाओं से जुड़ी है। उसे ध्यान में रखकर और समृद्ध, सांस्कृतिक विरासत के लिए इसे स्थान दिया जाना चाहिए।
पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा है- छत्तीसगढ़ के गठन का यह 20वां वर्ष है, पर सांस्कृतिक दृष्टि से इतिहास प्राचीन है। राज्य की भाषा छत्तीसगढ़ी का व्याकरण हीरालाल काव्योपाध्याय ने तैयार किया था। इसका संपादन व अनुवाद प्रसिद्ध भाषाशास्त्री जार्ज ए. ग्रियर्सन ने किया, जो 1890 में जर्नल ऑफ द एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल में प्रकाशित हुआ था।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का भी किया गया है गठन
पत्र में आगे लिखा है, छत्तीसगढ़ का विपुल और स्तरीय साहित्य उपलब्ध है। इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है। छत्तीसगढ़ी की उप बोलियां और कुछ अन्य भाषाएं भी प्रचलन में हैं, पर लोगों की संपर्क भाषा छत्तीसगढ़ी ही है। राजकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ी को अपनाया गया है। हर साल 28 नवंबर को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाया जाता है।
जनभावना और आवश्यकता के अनुरूप परिरक्षण, प्रचलन और विकास के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन किया गया है। केंद्र की ओर से यह बताया जाता रहा है कि छत्तीसगढ़ी सहित देश की अन्य भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाना विचाराधीन है। ऐसे में छत्तीसगढ़ी को प्राथमिकता से शामिल किया जाना आवश्यक है।
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