नई दिल्ली : राजस्थान में जहां एक ओर सीएम अशोक गहलोत जैसलमेर में कांग्रेस विधायकों को लड़ाई जीतने का आवश्वासन दे रहे हैं तो दूसरी ओर सचिन पायलट ने कांग्रेस नेता राहुल और प्रियंका गांधी से मुलाकात की है. दिल्ली में हुई इस मुलाकात अपने आप में दिलचस्प है क्योंकि इससे पार्टी आलाकमान की ओर से उनको मनाने के लिए कई बार कोशिशें हुई लेकिन सचिन पायलट अशोक गहलोत को राजस्थान के सीएम पद से हटाने से कम की शर्त पर किसी तरह पीछे नहीं हटना चाहते थे.
हालांकि सचिन पायलट ने साथ में ये भी ऐलान किया कि वह बीजेपी में नहीं शामिल हो रहे हैं. दूसरी ओर एक बड़े नाटकीय घटनाक्रम के बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने 14 अगस्त को विधानसभा का सत्र बुला लिया है और उसमें वह विश्वास मत पेश कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में सचिन पायलट और उनके साथ 18 बागी विधायकों के सामने दल-बदल कानून का संकट खड़ा होता दिखाई दे रहा था. वहीं सीएम गहलोत बार-बार बहुमत पास होने का दावा कर रहे थे.
अब सवाल इस बात का उठता है कि सचिन पायलट ने राहुल और प्रियंका गांधी से अचानक से मुलाकात की है क्या वह कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की ओर से रखी गई उस शर्त को मान गए हैं जिसमें कहा गया है कि अगर सचिन पायलट पार्टी आलाकमान से मिलकर अपनी स्थिति साफ करें तो उनके लिए कांग्रेस के दरवाजे दोबारा खोले जा सकते हैं. सुरजेवाला ने कहा, ‘सचिन पायलट को बातचीत करने जरूर आना चाहिए.
वो पहले अपनी स्थिति साफ करें तभी उनकी वापसी कोई बातचीत संभव हो सकती है’. वहीं बीते 4 अगस्त को उन्होंने सचिन के साथ गए 18 बागी विधायकों से भी कहा कि बीजेपी की मित्रता छोड़ें, सुरक्षाचक्र तोड़ें, घर वापस आएं और तभी बातचीत हो सकती है.
लेकिन सवाल इस बात का है कि अगर सचिन पायलट की यह मुलाकात उनकी दोबारा वापसी के लिए हो रही है तो क्या अशोक गहलोत से इतनी कड़वाहट के बाद सब कुछ आसानी से ठीक हो जाएगा. बीते कुछ दिनों में सीएम अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के लिए काफी कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया था.
हालांकि इस सवाल पर पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला टालने की मुद्रा में जवाब देते हैं. फिलहाल राजस्थान की राजनीति में इस नए घटनाक्रम को जहां कांग्रेस सफलता मान रही है वहीं अशोक गहलोत बाद में क्या कहते हैं ये देखने वाली बात होगी.
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