बलरामपुर, पवन कश्यप: पाट प्रदेश का हिस्सा बलरामपुर-रामानुजगंज के बड़े भू-भाग में वन संपदा की प्रचुरता तथा वन भूमि का विस्तार है। जिले की बड़ी आबादी तथा जनजातीय समुदाय वर्षों से इन भूमियों पर निर्भर हैं एवं अपनी आजीविका के प्राथमिक स्रोत के रूप में इसका समुचित उपयोग कर रहे हैं। वनांचलों के इन लोगों का भूमि से भावनात्मक जुड़ाव होने के साथ-साथ वे इसकी पूजा भी करते हैं।
वन संपदा तथा वनभूमि की सुरक्षा एवं इनकी आजीविका को ध्यान में रखते हुए शासन द्वारा ऐसे लोगों को वनाधिकार पत्र के माध्यम से पट्टा देकर भूमि का हक दिया जा रहा है। वन अधिकार पत्र के माध्यम से मिले जमीन के हक से इन लोगों के मन में जमीन के अधिकार का भय दूर हो गया है और वे अब निश्चिंत होकर कृषि और आजीविका मूलक कार्य कर रहे हैं।
जिले में वनाधिकार पत्र के माध्यम से जमीन का अधिकार प्राप्त करने वाले हितग्राहियों की बड़ी संख्या है। ऐसे ही एक हितग्राही हैं विकासखंड राजपुर के नरसिंहपुर निवासी श्री ईश्वर जो वनाधिकार के माध्यम से जमीन का हक प्राप्त कर सफल कृषक बन गए हैं। उन्हें वनाधिकार के माध्यम से 0.303 हेक्टेयर जमीन मिली है, जिसमें अब वे कृषि कार्य कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है।
ईश्वर बताते है कि पट्टे पर प्राप्त इस भूमि पर हम पीढ़ियों से कृषि कार्य कर रहे थे किंतु समुचित अधिकार तथा व्यवस्था के अभाव में इस भूमि का सम्पूर्ण लाभ नहीं ले पा रहे थे। अब जमीन का अधिकार मिलने से डर दूर हो गया है और प्रशासन के सहयोग से इस भूमि को समतलीकरण कर कृषि हेतु उपयुक्त बनाया गया है।
सिंचाई हेतु पानी की आवश्यकता को देखते हुए क्रेडा विभाग के सहयोग से सोलर पंप लग गया है, जिससे रबी एवं खरीफ दोनों फसल लेने में आसानी हुई है। श्री ईश्वर ने कहा कि वनाधिकार पत्र द्वारा शासन ने भूमि का अधिकार प्रदान कर आर्थिक सुरक्षा देने के साथ-साथ हमारी भावनाओं का सम्मान किया है।
ऐसी ही कुछ बातें वनाधिकार पत्र द्वारा पट्टा प्राप्त कर चुके विकासखंड रामचन्द्रपुर के लावा निवासी श्री देवनाथ बताते हैं कि वे आजीविका के लिए पूर्णतः मजदूरी पर निर्भर थे, जिससे उनका गुजारा बड़ी मुश्किल से हो पाता था। इसी दौरान वनाधिकार के अंतर्गत 2 हेक्टेयर भूमि का अधिकार मिला, जिससे जीवन में बड़ा बदलाव आया है और परिवार आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर है।
उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत डबरी का निर्माण हो चुका है, जिससे पानी की दिक्कत भी नहीं है और फसल का अच्छा उत्पादन भी हो रहा है। सरकार ने हम भूमिहीनों की चिंता करते हुए इस दिशा में प्रयास कर जो लक्ष्य निर्धारित किये थे, वे अब साकार होते दिख रहे हैं।
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