महासमुंद। राजधानी व बलौदाबाजर लॉकडाउन होने के बाद से एक बार फिर से बसों के पहिए थम गए हैं। दोबारा बसों के परिचालन बंद होने से बस ऑपरेटर, परमानेंट चालक, परिचालक व अवेजी में चलने वाले चालकों की कमर टूट गई। उन्हें आर्थिक स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। अब फिर से उन्हें सप्ताहभर अपने परिवार का भरण पोषण करने की चिंता सताने लगी है। तीन महीने पूर्व लॉकडाउन के चलते एसे ही पगार नहीं मिली थी।
बसों के संचालन से कुछ उमीद जगी थी, लेकिन फिर से पानी फिर गया। बुधवार से रायपुर रूट बंद होने के बाद ऑपरेटरों से सभी रूटों में परिचालन बंद कर दिया है। जिससे राजिम, बागबाहरा, पिथौरा सहित सरायपाली रूट में बसें नहीं चल रही है। मिनी बस एसोसिएशन संघ के जिलाध्यक्ष राकेश चंद्राकर का कहना है कि दोबारा लॉकडाउन से भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि बसों के परिचालन से धीरे-धीरे यात्रियों की संया बढऩे की उमीद जगी थी, लेकिन दोबारा बसों के पहिए थम जाने से कर्मचारियों को पगार देने में परेशानी होगी।
यदि ऐसी ही नौबत रही तो बसों को बेचना भी पड़ सकता है। इधर, बसों के बंद होने से यात्रियों को फिर से परेशानी का सामना करना पड़ेगा। ज्ञात हो कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते केस के चलते सरकार ने 22 जुलाई से 28 जुलाई तक रायपुर व बलौदाबाजार जिले में लॉकडाउन कर दिया है। जिसके कारण यहां आने जाने में पाबंधी लग गई है। यहां तक बसों को भी प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। जिसके कारण रायपुर व बलौदाबाजार जाने वाली बसें एक बार फिर से बस स्टैंड में खड़ी हो गई है।
पांच महीने से एक रूपये की नहीं हुई कमाई, परिवारों को पालने में परेशानी
जिलाध्यक्ष ने बताया कि जिले में 200 बसें अन्य रूटों में चलती है। इन बस के चलने से ऑपरेटर सहित 500 परिवारों के घर चुल्हे जलते है। तीन महीने से लॉकडाउन के कारण बसें नहीं चली है। जैसे तैसे करके तीन महीने गुजार लिए। अब दोबारा लॉकडाउन होने से परिवारों का भरण पोषण करने में परेशानी हो रही है। आर्थिक स्थित काफी कमजोर हो गई है।
इसके अलावा दूसरा व्यापार भी नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार बस ऑपरेटरों सहित कर्मचारियों के लिए योजना नहीं बना ही है। सरकार ना ही किराया बढ़ा रही है और न ही अगामी तीन महीने का टैक्स भी माफ नहीं कर रही है। उन्हें चिंता सता रही है कि वे जुलाई का टैक्स कैसे भुगतान करेंगे।
फिर से चालू होने के बाद 10 दिनों तक रहेगी परेशानी
तीन महीने लॉकडाउन के बाद जब बसें सड़कों पर दौड़ी तो 10 दिनों तक एक से दो यात्री ही सवारी कर रहे थे। वहीं बसों की संया भी कम थी। एक बार फिर से बंद होने के बाद बस चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। दोबारा लॉकडाउन के बाद तो अब यात्री बसों में यात्रा करेंगे या नहीं इसकी उमीद नहीं है। ज्यादातर यात्री कोरोना के कारण दोपहिया वाहनों का उपयोग कर रहे हैं। जिसके कारण यात्रियों की संया कम हो गई है। कुछ यात्री बसों में सवारी करना प्रारंभ किए थे, कि अब बंस फिर से बंद हो गया। 29 जुलाई को चालू होने के बाद 10 दिनों तक फिर से परेशानी झेलनी पड़ेगी।
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