बलरामपुर, पवन कश्यप. कोविड-19 के कारण देश की अर्थव्यवस्था के साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है। लाॅकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों के रूकने से श्रमिकों के समक्ष रोजगार की समस्या राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरी थी। प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों की वापसी ने भी संकट के समय बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न कर दी थी।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से सरकार ने श्रमिकों को रोजगारमूलक कार्यों से जोड़कर उनके आजीविका के संकट को दूर किया है। जिले में मनरेगा के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 33.56 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य राज्य सरकार से प्राप्त हुआ था।
कोरोना महामारी के संकट के दौरान मजदूरों की परेशानियों को दूर करते हुए जिला प्रशासन ने मनरेगा के माध्यम से संचालित कार्यों में श्रमिकों को अधिक से अधिक संख्या में नियोजित किया। प्रवासी श्रमिकों को भी मनरेगा के कार्यों में नियोजित कर रोजगार प्रदान किया जा रहा है। जिले में लक्ष्य के अनुरूप अब तक 1 लाख 11 हजार श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराकर 48.09 करोड़ रूपये की मजदूरी भुगतान किया गया है।
कलेक्टर श्याम धावड़े ने बताया कि कोरोना के संकटमय परिस्थिति में मजदूरों को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ रोजगार प्रदान किया जा रहा है। कोविड-19 से उपजी विषम परिस्थितियों ने श्रमिकों को सर्वाधिक प्रभावित किया है, इस लिए मजदूरों को ही रोजगार तथा आय के साधन उपलब्ध कराने के हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी है कि जिले में पिछले तीन महीनों में लक्ष्य के विरूद्ध 67.44 प्रतिशत् की उपलब्धि अर्जित की गई है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हरीश एस ने बताया कि जिले में शासन की संचालित योजनाओं के अधिकांश कार्य मनरेगा के माध्यम से कराए जाते हैं। गौठान निर्माण, नाला ट्रीटमेंट, डबरी निर्माण, कूप निर्माण सहित अनेकों कार्यों में मनरेगा के अंतर्गत मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। कोविड-19 के कारण जारी लाॅकडाउन में काम न होने से श्रमिकों के समक्ष आजीविका का बड़ा संकट उत्पन्न हो गया था इसी लिए बड़ी संख्या में मजदूरों को रोजगार प्रदान किया गया।
नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना के अंतर्गत जिले में 116 गौठान का निर्माण पूर्ण हो चुका है, इन निर्माण कार्यों में मनरेगा के माध्यम से लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है। इसी प्रकार जिले में नरवा ट्रीटमेंट के अंतर्गत निर्माणाधीन गेबियन, कंटूर ट्रेंच, बोल्डर चेक, गली प्लग, स्टाॅप डेम आदि में मनरेगा के श्रमिकों द्वारा कार्य किया गया है।
नरवा कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में 60 नालों का चयन कर 6 हजार 828 कार्य स्वीकृत किये गये थे, जिसमें से 5 हजार 760 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि मनरेगा का मुख्य उद्देश्य यही है कि श्रमिकों को रोजगार मिले तथा समय पर मजदूरी राशि का भुगतान हो। शासन स्तर पर भी श्रमिकों को रोजगार से जोड़ने में मनरेगा के कार्यों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। हरीश एस ने कहा कि जिले के श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर ही मनरेगा के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करवाया गया है, जिससे श्रमिकों की चिंताएं भी दूर हुई है।
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