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हर 15 मिनट में पानी पीने से कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो जाता है! जानें इस वायरल मैसेज का सच…

देश और दुनिया में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच इससे बचाव और इसके उपायों को लेकर तरह-तरह की रिसर्च सामने आ रही है। इसके इलाज के लिए कई तरह की दवाएं उपलब्ध हो गई हैं और आने वाले समय में जल्द ही वैक्सीन भी उपलब्ध होगी। जबतक वैक्सीन नहीं आ जाती, तबतक के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और एजेंसियां बचाव के लिए लगातार सलाह दे रही हैं। वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह के टिप्स दिए जा रहे हैं। एक दावा यह भी किया जा रहा है कि गले को तर यान गीला रखना फायदेमंद है। पोस्ट में कहा जा रहा है कि हर 15 मिनट में पानी पीते रहने से कोरोना वायरस का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। ऐसा कर के कोरोना संक्रमण को रोका जा सकता है। इसमें कितनी सच्चाई है, आइए जानते हैं विस्तार से:

सोशल मीडिया पर इस दावे से संबंधित पोस्ट में कहा जा रहा है कि हमें अपने गले और मुंह को हमेशा गीला रखना चाहिए और इसके लिए हर 15 मिनट पर पानी पीना चाहिए। इस सलाह के पीछे दलील ये दी जा रही है कि चूंकि कोरोना वायरस इन्हीं रास्ते में हमारे शरीर में जाता है, इसलिए पानी पीने से हमारी ग्रासनली से वायरस नीचे हमारे पेट में चले जाएंगे और पेट में बनने वाले एसिड से मर जाएंगे। ऐसे में हमारे लिए यह जानना ज्यादा जरूरी है कि इस बारे में वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का क्या कहना है।



लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में एपिडेमोलॉजिस्ट कल्पना सबापैथी ने बीबीसी फ्यूचर से बातचीत में बताया है कि इस बात को जनरलाइज कर दिया गया है यानी कुछ ज्यादा ही सामान्य तरीके से पेश कर दिया गया है। उनका कहना है कि संक्रमण किसी एक वायरल कण से नहीं होता बल्कि हजारों-लाखों पार्टिकल्स के संपर्क में आने से होता है, इसलिए केवल ग्रासनली की सफाई कर देने से बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

कल्पना का कहना है कि इस थ्योरी में दिक्कत यह है कि वायरस को केवल पेट तक पहुंचा कर मारे जाने का दावा किया जा रहा है। ध्यान देने वाली बात ये है कि ग्रासनली से पहले ही आपकी नाक से भी वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर चुका होगा। अगर ऐसा न भी हो तो आंखों से या अन्य रास्तों से वायरस प्रवेश कर सकता है।

वह कहती हैं कि संक्रमित जगह या सतहों को छूकर अगर आप अपनी आंखें, नाक, मुंह आदि छुएंगे और वायरस आपको संक्रमित कर देगा। किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकले ड्रॉपलेट्स आपकी सांसों के जरिए अंदर जाकर भी वायरस आपको संक्रमित कर सकता है। इसलिए यह बचाव का कारगर तरीका कैसे हो सकता है!

पेट में मौजूद अम्लीय रसों का पीएच मान यानी (अम्लीयता का पैमाना) 1 से 3 के बीच में होता है, जिसमें वायरस के मरने की पूरी संभावना नहीं होती। साल 2012 में सऊदी अरब में कोरोना फैमिली का ही एक पैथोजेन वायरस आया था। इस वायरस में पेट में मौजूद अम्ल या हल्के एसिड के खिलाफ प्रतिरोध करने की शक्ति थी। वैज्ञानिकों ने पाया था कि वायरस मरीजों के पेट में जिंदा रहकर आंत की कोशिकाओं पर आसानी से हमला कर सकता है।



अबतक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस नए कोरोना वायरस पर भी यह बात लागू होगी या नहीं। कोरोना वायरस के लक्षणों में डायरिया यानी दस्त भी शामिल हैं। वहीं, चीन के वैज्ञानिक पाचन तंत्र के संक्रमित होने को भी दस्त का कारण बता चुके हैं। कुछ महीने पहले आई एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि कोरोना संक्रमित मरीजों के मल में भी वायरस हो सकता है।

अंतत: बात करें पानी पीने से कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा रोकने की, तो इसकी अबतक वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। इससे मिलती-जुलती एक स्टडी में यह जांच हुई थी कि क्या पानी से गार्गल करने से सांस संबंधी संक्रमण रोका जा सकता है! जापान में यह बेहद लोकप्रिय तरीका है, जिसके के बारे में हुई स्टडी में पाया गया था कि दिन में तीन बार गार्गल करने वाले लोगों में ऐसा न करने वालों की तुलना में कम खतरा था। हालांकि बहुत छोटे समूह पर की गई यह स्टडी कोरोना वायरस पर लागू नहीं होती।



भारत में आयुष मंत्रालय ने भी गर्म पानी से गरारा करने की सलाह दी है। लेकिन हर 15 मिनट में पानी पीना कोरोना संक्रमण रोकने का रास्ता नहीं हो सकता। पानी पीने की आदत अच्छी है, यह आदत पेट और त्वचा संबंधी कई तरह की बीमारियां नहीं होने देती, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के मामले में इसकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार इस दावे पर बिना किसी पुष्टि सामने आए बिना विश्वास करना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।

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