भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री के बीच में बातचीत के बाद लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव में नरमी आई है. चीनी सेना पीछे हटने को तैयार हो गई है. 60 दिन की तनातनी के बाद इसे भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि आखिरकार भारत ने ऐसे कौन से फैसले लिए जिसकी वजह से चीन को झुकना पड़ा और पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा.
चीन पर आर्थिक चोट, कई प्रोजेक्ट रद्द
मई महीने में लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे क्षेत्रों में भारत-चीन सेना के बीच शुरू हुआ तनाव 15 जून को हिंसक झड़प के बाद चरम पर पहुंच गया. चीन को सबक सिखाने के लिए सबसे पहले भारत सरकार ने चीन को आर्थिक चोट पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी. भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनियों को मिले कई ठेकों को रद्द कर दिया. इसके बाद बिहार सरकार ने चीनी कंपनी से करीब 2900 करोड़ रुपये के पुल प्रोजेक्ट की ठेकेदारी छीन ली.
सरकार ने ऐलान कर दिया कि मौजूदा और भविष्य के सभी रोड प्रोजेक्ट में चीनी कंपनी साझेदारी या ठेका नहीं ले पाएगी. इतना ही नहीं सरकार ने सभी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर चीन के सामानों पर इसकी जानकारी देने की व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश दे दिया. उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर-आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए चीनी कंपनी के ठेके को भी रद्द कर दिया था.
हुवै भारत में 5G सेवाओं का एक प्रमुख दावेदार था लेकिन सरकार ने 5G की नीलामी फिलहाल एक साल के लिए टाल दी. चीन से आने वाले आयात को कम कर दिया गया और सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की योजना को और तेजी से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया.
59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध
इस आर्थिक चोट से जबतक चीन उबर पाता उससे पहले ही भारत सरकार ने चीन पर डिजिटल स्ट्राइक कर दी. राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर भारत ने 59 चीनी ऐप्स को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया. इसमें लोकप्रिय शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक और शेयरिंग ऐप शेयर इट भी शामिल है. चीन को इस पाबंदी से बड़ा झटका लगा और अरबों के कारोबार पर सीधे चोट पहुंची.
भारत में बैन किेए जाने के बाद टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइट डांस ने भी चीनी सरकार से दूरी बना ली. शीर्ष रिसर्च फर्म के अनुसार, टिकटॉक, क्लब फैक्ट्री, यूसी ब्राउजर और अन्य ऐप्स के मई 2020 में 50 करोड़ से अधिक मंथली एक्टिव यूजर्स थे. कुछ अन्य विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन 59 ऐप्स के एक्टिव यूजर्स की कुल संख्या 80 करोड़ थी.
कूटनीतिक स्तर पर दुनिया में चीन को किया अलग-थलग
चीन की विस्तारवादी नीति से भारत ही नहीं जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका से लेकर कई दूसरे देश परेशान है. ऐसे में जब चीन ने भारतीय भूमि पर कब्जे की नीयत से घुसपैठ की कोशिश की तो भारत को इन देशों का भी साथ मिला. एलएसी पर तनाव बढ़ाने के लिए अमेरिका ने सीधे तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराया और भारत के साथ अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
वहीं ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन के खिलाफ कदम उठाये और अपने सैन्य बजट को बढ़ाने का फैसला किया. जबकि कई पश्चिमी देशों ने चीनी ऐप्स पर बैन लगाए जाने को लेकर भारत का समर्थन किया. साउथ चाइना-सी में चीन की दादागीरी को खत्म करने के लिए अमेरिका ने परमाणु युद्धपोत की तैनाती कर दी जो चीन के लिए किसी झटके से कम नहीं है.
LAC पर भारत की आक्रामक सैन्य तैनाती
एक तरफ जहां भारत कूटनीतिक स्तर पर दूसरे शक्तिशाली देशों का समर्थन हासिल करता रहा वहीं वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी किसी भी परिस्थिति के लिए तैयारी शुरू कर दी. 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत ने आक्रामक तरीके से पूरे लद्दाख क्षेत्र में सैनिकों और हथियारों की तैनाती शुरू कर दी.
पहले जहां इस क्षेत्र में 20 से 24 हजार सैनिकों की तैनाती हुआ करती थी उसे बढ़ाकर 40 से 45 हजार जवानों तक कर दिया गया. फॉरवर्ड बेस पर आर्टिलरी, टैंक के साथ ही भारी हथियारों की तैनाती सुनिश्चित कर दी. चीन को माकूल जवाब देने के लिए मिग 29 फाइटर जेट, मल्टी रोल कॉम्बैट, मिराज-2000, सुखोई-30 और जगुआर की भी तैनाती की गई है.
ये सभी लड़ाकू विमान हथियारों से लैस होकर इलाके की निगरानी कर रहे हैं. अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर की भी तैनाती फॉरवर्ड एयर बेस पर की गई ताकि चीन की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके. थल सेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख ने खुद जाकर सीमा पर भारत की तैयारियों का जायजा लिया था.
हथियारों की खरीद में तेजी
चीन से बढ़ते तनाव के बीच किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार ने सैन्य हथियारों की खरीद में तेजी लाने का फैसला किया था. इसी के तहत केंद्र सरकार ने युद्ध की तैयारियों के मद्देनजर तीनों सेनाओं के लिए 500 करोड़ का इमरजेंसी फंड जारी कर दिया. उरी हमले के बाद बीते चार वर्षों में रक्षा बलों ने कई पुर्जों और मिसाइलों का स्टॉक किया था, जो उस वक्त भारत के पास बेहद कम थे.
इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस का दौरा किया और एस400 एयर डिफेंस सिस्टम की जल्द से जल्द डिलीवरी के लिए कंपनियों पर दबाव बनाया. रूस दौरे के दौरान रक्षा मंत्री ने एके-203 असॉल्ट राइफल और लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर की खरीद पर भी रूसी सरकार से बातचीत को अंतिम दौर तक पहुंचाया.
चीन को उस वक्त सबसे बड़ा झटका लगा जब भारत सरकार ने 33 लड़ाकू विमान और रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए 38 हजार 900 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे दी.
Add Comment