छत्तीसगढ़सियासत

आदिवासी इलाकों में सिंचाई की घोर उपेक्षा: शैलेश

रायपुर। आदिवासी इलाकों में सिंचाई की भाजपा सरकार ने घोर उपेक्षा की है। 2003 में जब छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी सरकार बनी थी उस समय मुख्य रूप से आदिवासी इलाकों बस्तर और सरगुजा से भाजपा की ज्यादा संख्या में सीटें आई थी। आज जब इस सरकार के 15 साल पूरे होने जा रहे हैं तो आदिवासी इलाकों और आदिवासी जिलों के सिंचाई के प्रतिशत पर एक नजर डालने से ये साफ हो जाता है कि भाजपा सरकार ने 15 साल के शासनकाल में जहां एक ओर आदिवासियों की जमीनें लूटने के लिए भू-राजस्व संहिता जैसा विधेयक लाया, आदिवासियों को 12 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय का अपना वादा पूरा नहीं किया, हर आदिवासी परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी का वादा नहीं निभाया, वहीं दूसरी ओर पूरे प्रदेश में और खासकर आदिवासी इलाकों में खेती और सिंचाई की भी घनघोर उपेक्षा हुई है। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा है कि आज अगर राज्य में देखें नाराणयपुर में 0 प्रतिशत, दंतेवाड़ा में 0 प्रतिशत सिंचाई है, सुकमा में 1 प्रतिशत, जशपुर में 4 प्रतिशत, बस्तर में 4 प्रतिशत, कोण्डागांव में 5 प्रतिशत, बीजापुर में 5 प्रतिशत, कोरबा में 7 प्रतिशत बलरामपुर में 8 प्रतिशत, कोरिया में 8 प्रतिशत, सरगुजा में 10 प्रतिशत, सूरजपुर में 11 प्रतिशत, कांकेर में मात्र 15 प्रतिशत ही सिंचाई है। इसका अर्थ सीधे-सीधे इन भारतीय जनता पार्टी के 15 सालों में आदिवासी जिलों को सिंचाई सुविधा से वंचित रखने की आदिवासियों के खिलाफ एक साजिश रची गई ताकि आदिवासियों की जमीने हड़पी जा सके। ये वही इलाके के जहां पर जमीन के नीचे कोयला है, लोहा है, बाक्साइट है, कोरंडम है, बहुमूल्य खनिज है। इस इलाके की खनिज संपदा को लूटने के लिए इन जिलों को हर तरीके के विकास से भाजपा ने वंचित रखा। सिंचाई प्रतिशत के जिलेवार आंकड़े इस बात की स्पष्ट रूप से जीता जागता प्रमाण हैं।

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