उज्ज्वला योजना के करोड़ों लाभार्थियों को कोरोना वायरस संकट के बीच बड़ी राहत मिल सकती है। लाभार्थियों की सुविधाओं के मद्देनजर तेल कंपनियां ईएमआई डेफरमेंट स्कीम की मियाद एक साल तक बढ़ा सकती हैं। इससे लाभार्थियों को मोटा मुनाफा होगा क्योंकि अगर यह अवधि बढ़ती है, तो ग्राहकों को एलपीजी सिलिंडर खरीदते समय ईएमआई की राशि का तेल कंपनियों को भुगतान नहीं करना होगा।
मौजूदा नियमों के अनुसार ईएमआई डेफरमेंट स्कीम जुलाई 2020 में खत्म हो रही है। सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है। दरअसल, उज्ज्वला योजना के तहत एक प्रावधान है। इसके अनुसार जब ग्राहक एलपीजी कनेक्शन लेते हैं, तो कुल लागत स्टोव के साथ 3,200 रुपये की होती है। 3,200 रुपये में से 1,600 रुपये की सब्सिडी सीधे तौर पर सरकार की तरफ से दी जाती है और बाकी 1,600 रुपये की रकम तेल कंपनियां देती हैं।
लेकिन ईएमआई में यह 1,600 रुपये की राशि ग्राहकों को तेल कंपनियों को चुकानी होती है। ईएमआई का स्ट्रक्चर ऐसे तयार किया गया है कि ग्राहक को अलग से राशि तेल कंपनियों को देने की जरूरत नहीं होती।
एलपीजी सिलिंडर को रिफिल कराते समय सब्सिडी की रकम आपके खाते में डीबीटी के जरिए आती है। यह रकम आपके खाते में ना आकर तेल कंपनियों को तब तक दी जाती है जब तक आप 1600 रुपये की रकम चुका न दें। एक बार आपने यह रकम चुका दी, तो फिर से आपको सब्सिडी की रकम मिलने लगती है।
ईएमआई डेफरमेंट स्कीम के तहत अगर एक साल में ग्राहक 14 किलो का सिलिंडर लेते हैं, तो छह सिलिंडर पर ईएमआई देने की जरूरत नहीं होती। लेकिन 7वें सिलिंडर पर उनको ईएमआई देनी पड़ती है।
वहीं पांच किलो के सिलिंडर खरीदने वाले ग्राहकों को 17 सिलिंडर तक कोई ईएमआई नहीं देनी होती। लेकिन 18वें सिलिंडर से ईएमआई का भुगतान करना होता है। अगर ग्राहक ईएमआई नहीं लेते, तो उन्हें सब्सिडी रेट पर सिलिंडर मिलेगा।
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