रायपुर। प्रदेश के घने वन क्षेत्रों में लगातार दस दिनों में छह हाथियों की मौत से यह प्रमाणित हो गया है कि वन विभाग के जिमेदार अधिकारी घने वन क्षेत्रों में दौरा नहीं कर रहे हैं जिसके चलते वन्य प्राणियों का अस्तित्व संकट में पड़ गया है।
हाल ही में केरल प्रदेश में एक गर्भवती हथिनी को शरारती तत्वों द्वारा बम भरा हुआ अनानास खिलाया गया था जिसके चलते हथिनी एवं उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। उक्त घटना क्रम पर सोशल मीडिया में जमकर ट्रोल वायरल हुआ।
अधिकांश वन प्रेमियों ने मनुष्य को जानवरों से गया बीता करार दिया गया। वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश में छह हाथियों की मौत पर वन्य प्राणी प्रेमियों का मौन न केवल मूक प्राणियों की मौत को चुपचाप देखना है बल्कि राष्ट्रीय स्तर के विषयों पर ही टिप्पणी करना रह गया है। रायपुर के वन्य जीव प्रेमी सतीश गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि मूक प्राणियों की मौत पर इस तरह के दोहरे मापदंड ठीक नहीं है।
गुप्ता के अनुसार वन विभाग के जिमेदारों पर अब राष्ट्रीय स्तर की कार्रवाई होना जरूरी हो गया है। हाथियों की मौत का एक कारण सेवानिवृत्त डीएफओ एसके तिवारी के अनुसार हाथी दांत की तस्करी भी हो सकता है। तिवारी के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर का तस्कर गिरोह वन्य प्राणियों की खाल, दांत आदि को करोड़ों रुपये में बेचता है जिसके चलते वन्य प्राणियों को अपने जीवन की बलि देकर कीमत चुकानी पड़ती है।(एजेंसी)
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