भारत और चीन के बीच लद्दाख में पिछले कई दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी. लेकिन 15-16 जून की रात को ये तनाव हिंसक झड़प में बदल गया, इसमें देश के 20 जवान शहीद हो गए. जवानों को खोने का गुस्सा हर किसी के मन में है इस बीच उस हथियार की तस्वीर सामने आई है, जिनसे चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को निशाना बनाया था.
गलवान घाटी में हुई झड़प में गोलियां नहीं चली थीं, ऐसे में चीनी सैनिकों ने घात लगाकर नुकीली कीलों वाले मोटे-मोटे सरियों से भारतीय सैनिकों पर हमला किया.
इन हथियारों की तस्वीरें साफ दिखाती हैं कि ये कोई अचानक हुई झड़प नहीं है. बल्कि चीन ने धोखा देकर घात लगाकर भारतीय जवानों को निशाना बनाया. इन्हीं नुकीले हथियारों की वजह से कई भारतीय जवानों के शव क्षत विक्षत मिले हैं.
सिर्फ बीते दिनों की झड़प में ही नहीं, बल्कि मई के शुरुआती महीने में जो झड़प हुई थी तब भी चीनी सैनिकों ने इन्हीं का इस्तेमाल किया था. 6 जून को भारत और चीन के सैनिकों ने बात करके ये तय किया था कि 15 जून के बाद से सैनिकों को पीछे भेजा जाना शुरू होगा.
लेकिन पंद्रह जून की शाम को जब बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू की अगुवाई में सैनिक पहुंचे, तो उन्होंने चीनी सैनिकों से वापस जाने को कहा. लेकिन चीनी सैनिक पहले से ही हमला करने की तैयारी में थे और फिर हमला बोल दिया.
आर्मी के सूत्रों की मानें तो चीन के कई सैनिक ऊंचे क्षेत्र में बैठे थे यही कारण रहा उन्होंने निचले हिस्से में मौजूद भारतीय सैनिकों को निशाना बनाया.
इतना ही नहीं चीनी सैनिक पहले से ही कुछ कवच पहनकर बैठे थे, ताकि भारतीय जवान अगर पलटवार करें तो उन्हें कम नुकसान पहुंचे. जहां पर भारत के जवान बात करने गए थे वहां भी इन नुकीले हथियारों को छुपाकर रखा गया था.
साफ है कि चीन जिस तरह से इसे एक घटना बता रहा है, वह गलत नजर आ रहा है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी चीनी विदेश मंत्री को साफ कहा है कि ये हमला चीन ने पूरी प्लानिंग के साथ किया है और चीन ही इसका जिम्मेदार है.
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