विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार को चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस महामारी का भीषण अप्रत्यक्ष असर पड़ सकता है. WHO ने कहा है कि कोरोना बीमारी की तुलना में महामारी की वजह से पैदा हुए खराब हालात की वजह से अधिक नुकसान हो सकता है.
WHO ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी का अप्रत्यक्ष असर सबसे अधिक महिलाओं, बच्चों और किशोरों पर पड़ सकता है. WHO प्रमुख टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस ने कहा- कोरोना के अप्रत्यक्ष असर से इस खास समूह पर जो बुरा प्रभाव पड़ेगा, वह कोविड-19 वायरस से होने वाली मौतों से भी भयानक हो सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस ने कहा कि कई जगहों पर महामारी की वजह से स्वास्थ्य सिस्टम पर दबाव बढ़ गया है. इसकी वजह से प्रेग्नेंसी और डिलीवरी से जुड़ी दिक्कतों से महिलाओं की मौत का खतरा बढ़ सकता है.
यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड की एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर नतालिया कनेम ने इस हालात को लेकर कहा है कि ‘महामारी के भीतर एक महामारी’ पैदा हो गई है. नतालिया कनेम ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक, हर 6 महीने के लॉकडाउन की वजह से 4.7 करोड़ महिलाएं कंट्रासेप्शन की सुविधा खो देंगी.
इसकी वजह से 6 महीने के लॉकडाउन में बिना इच्छा के 70 लाख बच्चों का जन्म होगा. इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन के प्रेसिडेंट ग्रैब्रिएला कुवस बैरन ने कहा कि महामारी की वजह से 4 से 6 करोड़ बच्चों पर भीषण गरीबी का खतरा पैदा हो गया है.
दुनिया के कई देशों में महामारी की वजह से स्कूल कई महीने से बंद हैं. दुनिया में कोरोना वायरस के अब तक 76.5 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. 4.25 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.
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