जिलों में 330 करोड़ का आवंटन, तो फिर कहां गया पैसा
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा है कि ये किसानों के भू-राजस्व संहिता की धारा 6-4 के तहत राजस्व राहत बांटने की बात कही है, लेकिन दुर्भाग्यजनक बात यह है कि सरकार को 500 से अधिक करोड़ की राशि आबंटित होने के बावजूद किसानों को राहत नहीं मिली है। राज्य से 330 करोड़ जिलों में भेजने की बात कही जा रही है, लेकिन आज की तारीख तक किसानों को सूखा राहत का पैसा नहीं मिला है। इसका सीधा-सीधा अर्थ है कि पिछले 4 महिने से कलेक्टर इस पैसे का लाभ उठा रहे हैं। जब पैसा मिल गया है किसानों का तो इसको रोक रखने का औचित्य क्या है? सरकार इसका जवाब नहीं दे पा रही है। सरकार ने सूखा घोषित इलाकों में न पेयजल की कोई व्यवस्था की गयी है, न निस्तार की व्यवस्था है। मवेशियों के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। मनरेगा के तहत इसलिये मजदूर काम करने नहीं जाते कि दो-दो साल से उन्हें भुगता नहीं मिला है। श्री भूपेश ने कहा कि अकाल के बावजूद सूखा राहत के तहत कोई काम सरकार ने खोला ही नहीं। छत्तीसगढ़ के मजदूर पलायन करने को मजबूर है। पहले अकाल के कारण मैदानी इलाकों से इस समय पलायन जरूर होता था, लेकिन बस्तर में लोग पलायन नहीं करते थे। इस साल हजारों की तादाद में बस्तर के लोग तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और ओडिसा पलायन कर रहे हैं। पत्रकारों से चर्चा के दौरान भूपेश बघेल ने कहा कि ध्यानाकर्षण में एक घंटे चली चर्चा में सरकार कांग्रेसी विधायक सत्यनारायण शर्मा, धनेन्द्र साहू, मोहन मरकाम, गिरवर जंघेल, संतराम नेताम के सवालों का जवाब देे पाई। गिरवर जंघेल ने कहा 25 प्रतिशत गांव सूखा घोषित है। एक गांव में फसल मात्र 25 प्रतिशत है। 33 प्रतिशत में आप राहत देते हैं। जिन गांव में 25 प्रतिशत से कम फसल है, सूखा है वहां आप सिर्फ दो या तीन किसानों को पैसा दे रहे। वहां तो सभी किसानों को मिलना चाहिये। इस प्रकार से ”अंधा बांटे रेवड़ी, चिन्ह-चिन्ह के देÓÓ की स्थिति इस प्रदेश में है। सरकार जिसका मन आये सूखा घोषित कर रहा है, जिसका मन नहीं आये सूखा घोषित नहीं कर रहा है। सूखा राहत में इसका कोई पैमाना ही नहीं है।
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