रायपुर। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए अन्य राज्यों से अथवा रेड जोन वाले क्षेत्रों से लौट रहे श्रमिकों के लिए उनके गृह ग्राम में क्वारेंटाइन सेंटरों बनाया गया है। जहां 14 दिनों के लिए उन्हें क्वारंटीन किया जा रहा है।
इन प्रवासी श्रमिकों की देखभाल एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ग्राम पंचायत सचिव, पटवारी, महिला स्व-सहायता समूह आदि को तैनात किया गया है। इनकी मॉनिटरिंग के लिए तहसील स्तर पर तहसीलदार, विकासखण्ड स्तर पर जनपद सीईओ और अनुविभाग स्तर पर संबंधित अनुविभाग के एसडीएम को जिम्मेदारी दी गई है।
जांजगीर-चांपा जिले के चांपा अनुविभाग के ग्राम सिलादेही हाई स्कूल में 65 श्रमिकों को क्वारंटीन किया गया है। यहां सुबह चाय के साथ नाश्ता और दोपहर व रात को भोजन दिया जाता है। श्रमिकों को भोजन में दाल-भात, हरी पौष्टिक सब्जी परोसी जा रही है।
क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे श्रमिक यहां की भोजन व्यवस्था से खुश हैं और नियम-कायदे का स्वस्फूर्त रूप से खुशी-खुशी पालन भी कर रहे हैं। क्वारेंटीन सेंटर में रहने वाले श्रमिक हमेशा मुंह और नाक को गमछा, मास्क, रूमाल से ढके रहने के साथ ही फिजिकल डिस्टेंसिंग का भी विशेष रूप से ध्यान रख रहे हैं।
सभी क्वारेंटीन सेंटर की नियमित साफ-सफाई के साथ ही आसपास के बरामदे एवं पेयजल स्थल के आसपास ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव तथा श्रमिकों के स्नान और बार-बार हाथ धोने के लिए साबुन व पानी की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। क्वारेंटाइन सेंटर में ठहरे श्रमिकों में गर्भवती माताओं, बच्चों और वृद्धजनों के देखभाल की विशेष व्यवस्था की गई है।
गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की नियमित, जांच टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग संयुक्त रूप से अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। बच्चों के नियमित टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग द्धारा समयबद्ध कार्यक्रम बनाया गया है। ब्लडप्रेशर, शुगर एवं अन्य बीमारियों से पीडि़त वृद्धजनों को नियमित रूप से नि:शुल्क दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
पामगढ़ के महामाया स्कूल क्वारेंटीन किए गए 211 श्रमिकों में 101 पुरूष व 111 महिलाएं हंै। यहां रोज सुबह योग की क्लास लगाई जाती है। क्लास में सकारात्मक विचार, पौष्टिक भोजन और स्वास्थ्य जागरूकता के संबंध में जानकारी दी जाती है।
कोविड 19 के संक्रमण से सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्वारंटीन श्रमिकों को दोना पत्तल में भोजन दिया जाता है। इससे स्थानीय ग्रामीणों को भी रोजगार मिल रहा है। भोजन पश्चात दोना-पत्तल को स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार गहरे जमीन पर दबाकर उसका डिस्पोजल किया जाता है।
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