रायपुर। प्रदेश के स्कूली बच्चे अब घर बैठे क्रिकेट, योग, कोरियोग्राफी, पेंटिंग और फोटोग्राफी आदि के गुर सीख सकेंगे। बच्चे ग्रीष्म अवकाश में पढ़ाई के साथ ही मनोरंजक के ढंग से विभिन्न कलाओं को सीख सकेंगे।
बच्चों अपनी रूचि के अनुसार अपनी कला-प्रतिभा को निखार सके इसके लिए प्रदेश सरकार ने ‘आई एम द वन’ कार्यक्रम चालू किया है। जिसका शुभारंभ कल स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने किया।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित ‘पढ़ई तुहंर दुआर’ वेबपोर्टल को शिक्षा विभाग ने और वृहद स्वरूप दे दिया है। इस पोर्टल में ‘आई एम द वन’ कार्यक्रम को भी अब शामिल कर दिया गया है। जिसके जरिए स्कूली बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अब विभिन्न कलाओं की भी शिक्षा दी जाएगी।
बताया गया कि बच्चे अपनी रूचि के अनुसार इस वेबपोर्टल के माध्यम से अपनी कला-प्रतिभा को भी निखार सकेंगे। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कल अपने निवास कार्यालय में ‘आई एम द वन’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शुरू की गई इस नई पहल में स्कूली बच्चों को ग्रीष्म अवकाश में पढ़ाई के साथ ही मनोरंजक ढंग विभिन्न कलाओं को सीख सकेंगे।
इस कार्यक्रम के ऑनलाईन प्रोग्राम में देश के प्रसिद्ध क्रिकेटर वीवीएस लक्षमण, फोटोग्राफर डब्बू रत्नानी, किशनगढ़ शैली के चित्रकार पद्मश्री तिलक गीताई, योग गुरू आचार्य श्री प्रतिष्ठा और कोरियोग्राफर सुमीत नामदेव के दिशा-निर्देशन में स्कूली बच्चे, क्रिकेट, योग, कोरियोग्राफी, पेंटिंग, फोटोग्राफी आदि के गुर सीख सकेंगे।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर कहा कि ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ वेबपोर्टल में पाठ्यपुस्तकों के अलावा अब बच्चों को मनोरंजक ढंग से विभिन्न कलाओं की शिक्षा के लिए शॉर्ट-टर्म कोर्स उपलब्ध होंगे।
डॉ. टेकाम ने छत्तीसगढ़ के सभी शिक्षकों, पालकों एवं बच्चों से अपील की है कि लॉकडाउन के समय और बाद में भी अपने बच्चों को नई चीजें सीखने के लिए प्रेरित करें। इससे बच्चों की रूचि, जिज्ञासा एवं बौद्धिक विकास में वृद्धि होगी।
डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि राज्य में स्कूल 20 मार्च से बंद हैं। इतनी लम्बी अवधि तक बच्चों का घर पर रहना एक बहुत मुश्किल काम है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा विगत माह 7 अप्रैल को बच्चों की पढ़ाई जारी रखने ऑनलाईन व्यवस्था ‘पढ़ई तुंहर दुआरÓ के नाम से शुरू की गई।
इस योजना के राज्य में उत्साहजनक नतीजे मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक 20 लाख से अधिक बच्चे और एक लाख 80 हजार से अधिक शिक्षक इस कार्यक्रम से जुड़ गए हैं। इसके अलावा महाविद्यालयीन विद्यार्थी और प्राध्यापक भी इससे जुड़ते जा रहे हैं।
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