20 सालों से इस अधिनियम में संशोधन के लिए केंद्र सरकार से लगा रहे हैं गुहार
चुनाव आयोग ने दोषी व्यक्तियों द्वारा राजनीतिक दलों के गठन को रोकने से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दिया। आयोग ने अपने जवाब में कहा कि उसके पास किसी राजनीतिक दल के रजिस्ट्रेशन को रद्द करने की शक्ति होनी चाहिए। वर्तमान में चुनाव आयोग के पास किसी पार्टी के पंजीकरण का अधिकार तो है, लेकिन उसे रद्द करने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा द रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट 1951 में किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। आयोग ने ये भी कहा कि हमारे देश में आंतरिक पार्टी लोकतंत्र बहुत जरूरी है। आयोग ने कहा कि मतदान पैनल को सशक्त बनाने के लिए विधायिका द्वारा कानून में संशोधन के बाद इसे उपयुक्त दिशानिर्देश तैयार करने में भी सक्षम होना चाहिए। चुनाव आयोग ने एडवोकेट अमित शर्मा द्वारा हलफनामा दायर करके एक याचिका के जवाब में शीर्ष अदालत में अपना पक्ष रखा। इससे पहले वकील-कार्यकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर याचिका में मांग की थी कि चुनाव आयोग के पास आंतरिक पार्टी लोकतंत्र को सुनिश्चित करने की शक्ति होनी चाहिए। हलफनामे में आयोग ने इस पर खेद जताया है कि वह पिछले 20 सालों से इस अधिनियम में संशोधन के लिए केंद्र सरकार को लिख रहा है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। याचिका के जवाब में दायर हलफनामे में कहा गया कि यह स्पष्ट तौर पर यहां प्रस्तुत किया गया है कि भारत के चुनाव आयोग को एक राजनीतिक दल को रद्द करने की शक्ति दी जानी चाहिए और इसके अलावा आयोग को इसके लिए भी अधिकृत होना चाहिए कि वो पंजीकरण करने और पंजीकरण रद्द करने के लिए आवश्यक आदेश जारी कर सके।
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