मुख्यमंत्री ने दिए छात्र-छात्राओं को परीक्षा के लिए उपयोगी टिप्स, सुनाई सफलता की कहानी

रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने रविवार को आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से प्रसारित अपनी मासिक रेडियो वार्ता रमन के गोठ की 30वीं कड़ी में परीक्षाओं के इस मौसम को ध्यान में रखते हुए, जहां छात्र-छात्राओं का उत्साह बढ़ाया, वहीं उन्हें परीक्षा के दिनों में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से कई उपयोगी टिप्स भी दिए। उन्होंने बच्चों को स्वामी विवेकानंद की जिन्दगी से लिए गए दो प्रेरक उदाहरण दिए और कहा कि एकाग्रता बहुत जरूरी है। डॉ. सिंह ने बच्चों को परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएं दी।
उन्होंने बच्चों के अभिभावकों से कहा- परीक्षा देने जा रहे बच्चों को प्यार, सहानुभूति और हिम्मत बढ़ाने वाले वातावरण की जरूरत होती है। उन्होंने बच्चों को परीक्षाओं के इस मौसम में टाईमटेबल बनाकर पढ़ाई करने, खान-पान, नींद, आराम और थोड़ा व्यायाम करने की भी सलाह दी है। डॉ. सिंह ने बच्चों को परीक्षा के दिनों में मोबाइल फोन, लैपटॉप, कम्प्यूटर, टी.व्ही., रेडियो आदि से दूर रहने और बहुत जरूरी होने पर ही इनका उपयोग करने की नसीहत दी है और कहा है कि अगर पढ़ते-पढ़ते बोरियत या झुंझलाहट हो रही हो तो झपकी ले या थोड़ा टहल लें। इससे ज्यादा लाभ मिलेगा। आंखों का आराम और ठंडक देने का ख्याल रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा-जहां तक परीक्षा के समय के तनाव का सवाल है, तो इसका इलाज जितना बाहर है, उससे ज्यादा खुद के अंदर होता है। अगर संतुलित ढंग से नहीं सोचकर हड़बड़ाएंगे तो तनाव होगा, लेकिन अगर शांति से योजना बनाकर तैयारी करेंगे, तो तनाव से बच सकते हैं। मुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा कि पहले तो यह समझ लेना चाहिए कि परीक्षा के बीच में जो समय है, उसका सबसे अच्छा उपयोग कैसे करना है। उसके लिए टाईमटेबल बनाकर पढ़ाई और अन्य गतिविधियों को शामिल करना चाहिए।
डॉ. रमन सिंह ने छात्र-छात्राओं का मनोबल बढ़ाने के लिए जशपुर जिले के ग्राम कोड़ेकेला (विकासखण्ड-पत्थलगांव) निवासी एक गरीब किसान परिवार के बेटे दीपक की सफलता की कहानी भी सुनाई। उन्होंने अपनी रेडियोवार्ता में बताया कि दीपक को रोज चार किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता था। उसे जिला प्रशासन द्वारा संकल्प संस्था के माध्यम से नि:शुल्क कोचिंग की सुविधा दी गई। दीपक ने जमकर तैयारी की और आईआईटी दिल्ली के लिए चुन लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा-जब पढ़ाई और परीक्षा की बात आती है तो अक्सर साधन और सुविधाओं की चर्चा होती है। लोग तुलना करने लगते हैं। आखिर दीपक ने साबित कर दिया कि वह सुविधाएं मायने नहीं रखती, बल्कि लगन और इरादा महत्वपूर्ण होता है।