
जगदलपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। बस्तर संभाग के अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रों में साल के पत्तों का मास्क बनाकर पहना जा रहा है।
बस्तर के ग्रामीण वनवासी के जीवन शैली-दिनचर्या में साल के पेड़ के पत्तों का अहम स्थान है। सामाजिक-धार्मिक आयोजन साल के पेड़ के पत्तों के बिना संभव ही नहीं है। यह उनके प्रकृति-जंगल के साथ अटूट रिश्ता-संबध को रेखांकित करता है। यही कारण है कि साल के पेड़ के पत्तों का मास्क बनाकर उपयोग में लाया जा रहा है।
मेडिकल स्टोरों में महंगे मास्क के स्थान पर बस्तर संभाग का ग्रामीण देसी जुगाड़ से साल के पेड़ के पत्तों का मास्क बनाकर अपने को प्रकृति के साथ जोड़ते हुए करोना वायरस से बचने के लिए बस्तर का देशी मास्क का ईजाद किया गया। ग्रमीण वनवासी बगैर खर्चे के इसे आसानी से बना सकते हैं।