रायपुर। बजट को लेकर अनियमित कर्मचारियों में आक्रोश है। बजट में अनियमित कर्मचारियों के लिए प्रावधान नहीं किए जाने से वे नाराज हैं। इसके विरोध में कर्मचारी 17 मार्च को विधानसभा का घेराव करने का निर्णय लिया है।
छत्तीसगढ़ का बज़ट 3 मार्च को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रस्तुत किया। बज़ट में अनियमित कर्मचारियों से किए वादे अनुरूप इस बज़ट में उनके लिए प्रावधान नहीं किए जाने से समस्त अनियमित कर्मचारियों में आक्रोश है।
जबकि घोषणा पत्र में किए वादे के अनुसार अनियमित कर्मचारियों को नियमित किए जाने व छटनी नहीं किए जाने का वादा किया गया था परन्तु इसके विपरीत लगातार अनियमित कर्मचरियों की छटनी जारी है जिस पर तत्काल रोक लगाने की आवश्यकता है।
अनियमित कर्मचारियों की मांगों में मुख्य रूप से नियमितीकारण किए जाने की मांग है पर अनियमित कर्मचारियों की मांगों से सरकार उदासीन नजऱ आ रही है। भूपेश सरकार का यह दूसरा बज़ट था जोकि 1 लाख करोड़ से ज्यादा का होने के बावजूद भी इस बज़ट में अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण किए जाने बज़ट में कोई प्रावधान नहीं किया गया।
इससे अनियमित अधिकारी कर्मचारी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं व उनमें रोष व गुस्सा है। जबकि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2019 में कहा गया था कि यह वर्ष किसानों का,अगला वर्ष कर्मचारियों के लिए होगा। परन्तु इस विशाल बज़ट में अनियमित कर्मचारियों के किए कुछ ना देकर यह उन्हें ठेंगा दिखा दिया।
बजट में अनियमित कर्मचारियों के लिए कुछ प्रावधान नहीं किए जाने से क्षुब्ध होकर छत्तीसगढ़ संयुक्त प्रगीतिशील कर्मचारी महासंघ की आपात कालीन बैठक आयोजित की गई जिसमें महासंघ के सरंक्षक विजय झा व प्रदेश अध्यक्ष बजरंग मिश्र ने कहा है कि अब अनियमित कर्मचारियों के पास एक मात्र विकल्प आन्दोलन ही है।
इसी परिपेक्ष में सर्वसम्मति से 17 मार्च 2020 को विधानसभा घेराव किए जाने का निर्णय लिया गया। बैठक में मुख्य रूप से राजकुमार कुशवाहा, शाहिद मंसूरी, धर्मेंद्र सिंह राजपूत, कमलेश कुमार सिन्हा, पंकज चन्द्रकार, मानसिंह चौहान, शैलेन्द्र, दीपक, अनिल साहू , प्रदीप देवांगन व बिसाहू यादव उपस्थित रहे।
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