जशपुरनगर। बस्तर में नक्सलियों का सामना करते हुए शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान बनमाली यादव के पिता रोथो राम,अफसरशाही का शिकार हो गए। अपने तीन एकड़ खेत में उपाजए धान को सरकारी मंडी में बेचने के लिए जमीन के दस्तावेज लेकर अफसरों के चक्कर काटते रह गए,लेकिन अंतिम तारीख तक उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा। अंतत: थक हार कर वे इन दिनों अपने घर में बैठ गए है।
निराश रोथो राम को अब उम्मीद है कि अगले सीजन में उन्हें इस स्थिति में फंसने से बचाने के लिए अधिकारी पहल जरूर करेगें। जिले के फरसाबहार तहसील के ग्राम पंचायत धौरासांड़ के केन्दूटोली के निवासी रोथो राम यादव के पास साढ़े तीन एकड़ की खेत है। इस खेत से होने वाली धान की उपज को 2016 से मंडी में बेचते आ रहे हैं। उनका नाम तपकरा मंडी के भगोरा उपार्जन केन्द्र में दर्ज किया गया है।
खरीफ सीजन 2019—20 के लिए भी इसी उपार्जन केन्द्र में उनका नाम दर्ज किया गया था। लेकिन गिरदावरी के दौरान उनका रकबा शून्य कर दिया गया। धान की कटाई और मिसाई के बाद जब टोकन लेने के लिए रोथो राम ने भगोरा उपार्जन केन्द्र में संपर्क किया तो उन्हें रकबा शून्य होने की जानकारी देते हुए,टोकन जारी करने से मना करते हुए खाली हाथ वापस लौटा दिया गया।
रकबा शून्य करने के कारण जानने के लिए जब उन्होनें स्थानीय राजस्व कर्मचारियों से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि जमीन का नामातंरण उनके नाम से नहीं हो पाया है। इस पर जब उन्होनें फरसाबहार के एसडीएम के सामने नामातंरण सहित तमाम दस्तावेज के समक्ष प्रस्तुत किया तो रिकॉर्ड दुरूस्त कर धान खरीदी करने के लिए टोकन जारी करने का आश्वासन दिया गया।
इस बीच धान खरीदी की अंतिम तिथि नजदीक आता देख कर रोथो राम ने जिला खाद्य अधिकारी का दरवाजा भी खटखटाया लेकिन यहां भी आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिल पाया। इस बीच स्थानीय पटवारी ने उनके दस्तावेज को अधूरा बताते हुए,पुन: दस्तावेज की मांग कर मामले का टालता रहा। नतीजा,प्रदेश सरकार द्वारा धान खरीदी की अंतिम तिथि 20 फरवरी भी गुजर गई,लेकिन रोथो राम को टोकन हासिल नहीं हो पाया। अब अपने 80 बोरा धान के साथ रोथो राम यादव घर में बैठे हुए है।
बुरकापाल में शहीद हुए बनमाली यादव
सीआरपीएफ के 74 वीं बटालियन के जवान बनमाली यादव की तैनाती 2017 में बस्तर के सुकमा जिले के बुरकापाल में की गई थी। 24 अप्रैल 2017 को वे सुबह 6 बजे अपने बटालियन के साथ दारनापाल में सड़क निर्माण कार्य के सुरक्षा में तैनात थे। इसी दौरान आधुनिक हथियारों व तीर धनुष से लैस 3 सौ से अधिक नक्सलियों ने जवानों पर हमला कर दिया।
इस हमले में नक्सलियों का सामना करते हुए बनमाली यादव शहीद हो गए थे। जवान के इस शहादत को सलामी देने के लिए तत्कालिन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह स्वयं शहीद के घर पहुंचे थे। बनमाली यादव की इस शहादत को चीर स्थाई बनाने के लिए स्कूल का नामकरण उनके नाम से करने के साथ गांव में एक चौराहे पर प्रतिमा स्थापित की जा रही है। इन सारी कवायदों के बीच शहीद के पिता के साथ धान खरीदी के दौरान किया गया सरकारी व्यवहार,शहीद के प्रति अधिकारियों की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा कर रहा है।
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