बिलासपुर। भूपेश बघेल सरकार को एक तगड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार द्वारा सितंबर 2019 में प्रदेश में आरक्षण (Reservation) के प्रतिशत को 58 से 82 प्रतिशत किए जाने के मामले में गुरुवार को हाईकोर्ट से एक बड़ा फैेसला आया।
हाईकोर्ट (High Court) ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 82 प्रतिशत के आरक्षण को समाप्त कर दिया है। अब प्रदेश में 58 प्रतिशत ही आरक्षण रहेगा। मालूम हो कि बढ़ हुए आरक्षण के खिलाफ 4 से 5 लोगों ने कोर्ट में याचिका (Petition) दायर की थी।
फैसले में यह पाया गया कि शासन द्वारा जारी किए गए आरक्षण के नोटिफिकेशन (Notification) पर तय सीमा में बिल पास नहीं किया गया। हालांकि 2012 में 50 से बढ़ाकर 58 फीसदी आरक्षण किए जाने के मामले में दायर गुरुघासीदास साहित्य समिति की याचिका अभी पेंडिंग है। इस पर सुनवाई जारी है।
फैसला रखा गया था सुरक्षित
बता दें कि राज्य सरकार ने प्रदेश में आरक्षण को 58 से बढ़ाकर 82 प्रतिशत करने सितंबर 2019 में एक नोटिफिकेशन जारी किया था। लगातार विरोध के बाद हाईकोर्ट में 5 अलग- अलग याचिकाएं दायर हुई।
मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अक्टूबर में इस बढ़े हुए आरक्षण के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी। पिछले सुनवाई में हाईकोर्ट ने इस आरक्षण के मामले में फैसले को सुरक्षित रख लिया था, जिसमें अब फैसला आ गया है।
सरकार ने लिया था ये फैसला
मालूम हो कि 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग को बड़ा तोहफा दिया था। ओबीसी (OBC) वर्ग को पहले 14 फीसदी आरक्षण मिलता था, जिसे 13 फीसदी और बढ़ा दिया गया। वहीं ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया गया था। इससे पहले अनुसूचित जाति (SC) वर्ग के आरक्षण को 12 से बढ़ाकर 13 फीसदी कर दी गई थी।
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