दिनेश नंदन सहाय के श्रद्धांजलि सभा के दौरान भड़के थे गौरीशंकर अग्रवाल
रायपुर। विधानसभा में श्रद्धांजलि सभा के दौरान स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल ने अमीत जोगी को हिदायत दी थी। उसके बाद उन्होंने अपनी बात रखने के लिए धड़ाधड़ तीन ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि आखिर वे कहना क्या चाहते थे। उन्होंने ट्वीट के जरिए अपनी पीड़ा का सामने रखा है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि स्वर्गीय दिनेश नंदन सहाय एक ऐसे नेता थे जिन्होंने सर्वोच्च संवैधानिक पद पर तीनों-दक्षिण-पंथी (एनडीए),मध्य-मार्गी(यूपीए) और वामपंथी(सीपीआई)-विचारधाराओं की सरकारों के साथ, देश और राज्य-हित को राजनीतिक हित से ऊपर रखकर लगातार 15 साल कार्य कर आधुनिक भारतीय इतिहास में अपनी अदभुद छाप छोड़ी।
जीवन के अंतिम पड़ाव में अपने गृह प्रदेश बिहार की प्रशासनिक तस्वीर बदलने में वहाँ के प्रशासनिक सुधार संस्था के कर्णधार रहकर अहम भूमिका निभाई। स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी ने अपनी कार्यशैली से बेलगाम अफ़सरशाही पर राजनीतिक नियंत्रण करने का मार्ग प्रशस्त करा,जिसे हमें सीख लेने चाहिए।
आज विधान सभा में उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए बस इतना ही मैंने कहा कि मुझे फिर मिल गई कड़ी नसीहत, अभी तक मैं समझ नहीं पाया हूँ कि मैंने ग़लत क्या बोला? राजनेताओं को बिना उनके राजनीतिक योगदान की बातें बताएँ कैसे श्रद्धा सुमन अर्पित करे?
बावजूद इसके मेरे इतना कहने से संसदीय मर्यादाओं का उल्लंघन हुआ है या किसी की भावनाओं को ठेस पहुँची है तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। ग़लती सबसे होती है और अपनी गलतियों से सीख लेने के लिए मैं हमेशा तैयार रहता हूँ।
Add Comment