रायपुर। छत्तीसगढ़ के तुलसी बाराडेरा में 23 फरवरी से शुरू होने वाले तीन दिवसीय राष्ट्रीय कृषि मेले में जैविक व्यंजन का मुख्य आकर्षण रहेगा। राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
राज्य में लगभग 32 हजार हेक्टेयर में औषधीय और खाद्यान्न फसलों का जैविक रूप से उत्पादन किया जा रहा है। इसमें प्रमुख रूप से सुगंधित चावल, रेड राइस, जिराफुल, जवाफूल, कोदो, रागी, कुटकी आदि फसलों का उत्पादन किया जा रहा है।
इन खाद्यान्न फसलों से चील, हलवा, खीर, डोसा, इडली, उत्तपम तैय्यार किया जाएगा। जैविक फसलों के उत्पादन से कृषि में रसायन के स्वास्थ्य और पर्यावरण पडऩे वाले दुष्प्रभावों को रोकने के साथ-साथ पर्यावरण सरंक्षण को भी बल मिलेगा। जैविक खेती से कृषकों को फसलों का बढ़ा हुआ मूल्य भी प्राप्त हो सकेगा।
ज्ञात हो 23 से 25 फरवरी के बीच लगने वाले इस राष्ट्रीय कृषि मेला में कृषि इंजीनियरिंग विभाग द्वारा अनेक नये एवं आधुनिक कृषि उपकरणों का प्रदर्शन किया जाएगा, जो न केवल प्रगतिशील किसानों के लिए उपयोगी होगा बल्कि अपने खेती-बाड़ी को आगे बढ़ाने वाले किसानों के लिए आकर्षण का केन्द्र होगा। न्यूमैटिक प्लांटर इसी तरह का एक नवीन विकशित कृषि उपकरण है। यह उपकरण प्रदर्शन के साथ-साथ अनुदान पर किसानों को विक्रय के लिए भी उपलब्ध रहेगा।
एग्रो स्टार्टअप्स भी लगाएंगे स्टाल… महुए के लड्डू से लेकर…
राष्ट्रीय कृषि मेला में छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा एवं बाड़ी के विकासÓ तथा एकीकृत कृषि विकास कार्यक्रम एवं किसानों के कल्याण संबंधी विषयों पर केन्द्रित होगा।
इस मेले में प्रदेश के किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकी से रुबरु होने का मौका भी मिलेगा। एक खेत से छह प्रकार की उपज लेने की तकनीकी, नेनोफर्टिलाइजर, ‘बायोफ्लॉक सघन मतस्य पालन’ की नवीन तकनीक, ‘आटोमेटिक सूक्ष्म सिंचाई यन्त्र’ का प्रदर्शन, मिट्टी की जलधारण क्षमता को कई गुना बढ़ाने वाले जैविक उर्वरक जैसे उपयोगी नवाचारों के जीवंत प्रदर्शन के साथ महुआ दलिया, महुआ लड्डू, एवं अन्य महुआ उत्पाद के स्टॉल, अंकुरित मोटे अनाज की कूकीज, बिस्किट्स, केक्स, हेल्थ ड्रिंक पाउडर आदि बेकरी प्रोडक्ट्स भी देखने को मिलेंगे।
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