एक तरफ नशा मुक्ति और शराब मुक्ति के तमाम तरह के सरकारी और गैर-सरकारी प्रयासों के बावजूद इसमें सफलता की गारंटी पूरी नहीं रहती। वहीं दूसरी तरफ चुनावों में लोगों को अक्सर यह कहते सुना जाता है कि बिना पिलाए चुनाव जीतना असंभव है, लेकिन आरंग जनपद सदस्य क्षेत्र क्रमांक 12 के प्रत्याशी संजय शर्मा कबीर ने इस मिथक को पूरी तरह तोड़ कर रख दिया है।
संजय शर्मा पूरे प्रदेश में लगातार नशा मुक्ति का प्रचार-प्रसार करते रहे हैं। और उन्होंने जनपद सदस्य के बतौर उम्मीदवारी जताई तो उनका एक बार फिर यही नारा रहा। उन्होंने अपने जनपद क्षेत्र में साफ तौर कह दिया कि वे शराब बांटकर चुनाव जीतने के बिल्कुल खिलाफ हैं। वे जनमानस में नशा मुक्ति को लेकर चुनाव मैदान में जाएंगे।
एक बारगी तो लगा कि वे नशा मुक्ति को लेकर चुनाव जीतना तो दूर, अपनी जमानत तक जब्त करवा देंगे। लेकिन उनके जनपद क्षेत्र में लोगों ने उनका खुलकर साथ दिया और संजय शर्मा कबीर एक बार फिर अपने नशा मुक्ति के संकल्प में कामयाब हुए।
आपको बता दें कि हाल ही हुए 28 जनवरी को हुए पंचायत चुनावों में संजय शर्मा कबीर आरंग जनपद सदस्य क्षेत्र क्रमांक 12 से बतौर प्रत्याशी उतरे थे। उनका चुनाव चिन्ह मशाल छाप रहा। और इसी मशाल छाप से चुनाव लडक़र और जीतकर उन्होंने एक नई मिसाल पेश की है।
उनके जनपद क्षेत्र में 8 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे और 8 गांवों में प्रचार करना था। जिन गांवों में उनका प्रचार अभियान चला वे 8 गांव हैं- खौली, कठिया, डिहारी, टेकारी, कुंडा, अमेरी, सकरी और जावा। 8 उम्मीदवारों और 8 गांवों में अपने अभियान को अनवरत जारी रखते हुए संजय शर्मा कबीर ने 145 वोटों से जीत दर्ज की।
उनकी ये जीत अपने आप में इसलिए भी बड़ी है कि जहां एक ओर कहा जाता है कि बिना प्रलोभन या नशे के मतदाताओं को अपने पक्ष में करना मुश्किल का काम होता है, वहीं अपनी स्वच्छ छबि और नशा मुक्ति के संकल्प के साथ वे जब मैदान में उतरे तो कईयों को लगा कि इनका जीतना मुश्किल है, लेकिन नतीजे आए तो जनता का समर्थन और बिना किसी प्रलोभन के लोकतंत्र में लोगों का उत्साह एक बार फिर साबित कर दिया कि वोटर मन को समझना वाकई आसान नहीं है और लोग आज भी स्वच्छ छबि और बेदाग लोगों को ही चुनकर ही अपना प्रतिनिधि बनाना चाहते हैं।
वैसे संजय शर्मा कबीर के बारे में आपको और भी कई बातें बताना यहां लाजिमी है। संजय शर्मा 2015 से 2020 तक गुजरा (लखोली) के सरपंच भी रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने नशा मुक्त समाज व जन चेतना को लेकर छत्तीसगढ़ के 1000 से ज्यादा गांवों में कवि सम्मेलन के माध्यम से जन जागृति लाने का भरसक प्रयास किया।
वे विगत 12 वर्षों से अनवरत नशा मुक्ति व जन चेतना जन जागरण का कार्य कर रहे हैं। इन्हीं सब कार्यों के चलते उन्हें महिला व बाल विकास तथा नशा मुक्ति जन चेतना हेतु छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मिनीमाता सम्मान भी मिल चुका है।
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