रायपुर। अचानक पडऩे वाला दिल का दौरा वर्तमान समय की सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। प्रतिवर्ष लगभग 1,50,000 लोग अचानक दिल के दौरे से मरते हैं। इसमें लगभग 75-80 प्रतिशत लोगों को दिल का दौरा घर पर आता है और लगभग 95 प्रतिशत लोगों की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मृत्यु हो जाती है। निष्क्रिय जीवन प्रणाली, खान-पान, बढ़ता तनाव, दुर्घटनाएं एवं मोटापा इसके मुख्य कारण हैं।
यह देखा गया है कि अधिकांशत: दिल के दौरे के मरीजों को समय पर प्रभावकारी कॉर्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन से बचाया जा सकता है। यह बातें डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ एनेस्थेसियोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर द्वारा अस्पताल के टेलीमेडिसीन हॉल में आयोजित ग्यारहवीं बेसिक एंड एडवांस्ड कॉर्डियक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन एनेस्थेसिया विशेषज्ञ तथा एडवांस कॉर्डियक लाईफ सपोर्ट कोर्स की मुख्य ट्रेनर डॉ. प्रतिभा जैन शाह ने कही।
चूंकि दिल का दौरा किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय, किसी भी स्थान पर हो सकता है तथा दौरा पढऩे के 3 से 5 मिनट तक ही मस्तिष्क काम करता है। अत: डॉक्टरों के साथ-साथ जन सामान्य को भी रिससिटेशन यानी पुन: होश में लाने की प्रक्रिया के तरीकों की जानकारी होना अति आवश्यक है।
कॉर्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन यानी सीपीआर हृदय तथा फेफड़ों को पुर्नजीवित करने की प्रक्रिया है। इसमें छाती के मध्य में दोनों हाथों की हथेली से 30 बार नीचे की तरफ दबाव डाला जाता है तथा 2 बार कृत्रिम श्वांस दी जाती है। यदि आप कृत्रिम श्वांस नहीं दे पा रहे हैं तो केवल छाती पर लगातार दबाव देकर भी उस मरीज की जान बचा सकते हैं। आज बीएलएस एवं एसीएलएस कोर्स प्रशिक्षण के आखिरी दिन सभी प्रतिभागियों को मैनीकिन पर प्रैक्टिस कराया गया
इसके बाद सभी प्रतिभागियों की परीक्षा ली गयी जिसमें तीन दिनों तक प्राप्त प्रशिक्षण को मौखिक तथा प्रायोगिक तौर पर बताना था। परीक्षा में उत्तीर्ण प्रतिभागियों को अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन से सर्टिफिकेट जारी किये गये जो 2 वर्ष के लिए मान्य है।
एनेस्थेसिया विभागाध्यक्ष डॉ. के. के. सहारे के मार्गदर्शन में आयोजित हुये तीन दिवसीय कार्यक्रम में कोर्स का प्रशिक्षण देने के लिये विशेषज्ञों की टीम अहमदाबाद, गुजरात से आयी थी जिसमें डॉ. विरल शाह, डॉ. पल्टियल पैलेट, डॉ. मेहुल गज्जर के साथ डॉ. सुजोय दास ठाकुर ने कोर्स का प्रशिक्षण दिया।
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