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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: कर्ज लेने में महिला पुरुषों से आगे…

नई दिल्ली। भारतीय महिलाएं अब किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं और कई मामलों में तो पुरुषोंं से भी आगे भी निकल गई हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार कर्ज लेने के मामले में महिला आवेदक बढ़ रही हैं।  कर्ज लेने के मामले में भारतीय औरतों ने मर्दों को पीछे छोड़ दिया है। पिछले तीन साल में कर्ज के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी ट्रांसयूनियन सिबिल की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 से 2018 के बीच कर्ज लेने के लिए सफल महिला आवेदकों की संख्या में 48 फीसदी की बढ़त हुई है। इसकी तुलना में सफल पुरुष आवेदकों की संख्या में 35 फीसदी की बढ़त हुई है। हालांकि कुल कस्टमर बेस के हिसाब से अभी भी कर्ज लेने वाले पुरुषों की संख्या काफी ज्यादा है।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, महिला कर्ज आवेदकों के हर साल 86 लाख नए खाते खुलते हैं। इनमें से दो-तिहाई महिलाएं महाराष्ट्र और दक्षिण के चार राज्यों तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से होती हैं। ट्रांसयूनियन सिबिल की सीओओ हर्शाला चंदोरकर ने अखबार से कहा, हमें उम्मीद है कि भविष्य में महिलाओं द्वारा कर्ज के आवेदनों में और बढ़त होगी। इसकी वजह यह है कि महिलाओं में शिक्षा बढ़ रही है, टियर वन और टियर 2 शहरों में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की खपत बढ़ रही है और कामकाजी महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही है।





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आज हर चार कर्जधारकों में से एक महिला है। यह अनुपात और भी बदलेगा क्योंकि कर्ज लेने लायक महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। बेहतर शिक्षा और श्रम बाजार में बेहतर हिस्सेदारी की वजह अब ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपने वित्तीय निर्णय खुद ले रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार करीब 5.64 करोड़ के कुल लोन अकाउंट में अब भी ज्यादा हिस्सा गोल्ड लोन का है, हालांकि साल 2018 में इसमें 13 फीसदी की गिरावट आई है। इसके बाद बिजनेस लोन का स्थान है। हालांकि, कंज्यूमर लोन, पर्सनल लोन और टू व्हीलर लोन के लिए महिलाओं की तरफ से मांग साल-दर-साल बढ़ती जा रही है। जोखिम की बात करें तो तमिलनाडु और केरल में सबसे कम रिस्क प्रोफाइल वाले राज्य हैं, जहां महिलाओं का औसत सिबिल स्कोर 781 है।

उम्रदराज महिलाएं लोन चुकाने में मुस्तैद

दिलचस्प यह है कि महिलाओं की बढ़ती उम्र के साथ ही उनके सिबिल स्कोर में बढ़त देखी गई है। सिबिल स्कोर बढऩे का मतलब है कि महिलाएं कर्ज चुकाने में मुस्तैद हैं। आंकड़ों के मुताबिक 35 साल से कम उम्र की महिलाओं का औसत क्रेडिट स्कोर 773 है, जबकि 35 से 45 साल की महिलाओं का औसत स्कोर 776 और 45 साल से ऊपर की महिलाओं का औसत स्कोर सबसे ज्यादा 785 है। सभी महिलाओं का औसत सिबिल स्कोर 770 से ज्यादा है। 750 से ज्यादा सिबिल स्कोर को बेहतर माना जाता है और इतना स्कोर होने पर आसानी से कर्ज मिल जाता है।

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